नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएस हार्डिया का नाम नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में दुनियाभर में मशहूर हैं। उनसे नई तकनीक सीखने विदेशों से भी डॉक्टर यहां आ चुके हैं। वर्ष 2002 में रेटिनिटिस पिग्मेन्टोसा नामक बीमारी के सफल ऑपरेशन की तकनीक (टेक्निक ऑफ ओमेंटोपैक्सी) की खोज डॉ. हार्डिया ने की थी। डॉ. हार्डिया ने वर्ष 1958 की बैच में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की थी। वर्ष 1968 में एमजे के बाद पिता के साथ गीता भवन अस्पताल में सेवाएं देना शुरू की।
पत्नी को दिया सफलता का श्रेय
अब तक 10 लाख से भी ज्यादा आंखों के ऑपरेशन कर चुके डॉ. पीएस हार्डिया के बेटे डॉ. राजीव हार्डिया, दो बेटी और दो पोते भी चिकित्सक हैं। डॉ. हार्डिया ने अपनी और परिवार की सफलता का श्रेय गृहिणी के रूप में जिम्मेदारी संभालने वाली पत्नी लता हार्डिया को दिया।
अब तक 10 लाख से भी ज्यादा आंखों के ऑपरेशन कर चुके डॉ. पीएस हार्डिया के बेटे डॉ. राजीव हार्डिया, दो बेटी और दो पोते भी चिकित्सक हैं। डॉ. हार्डिया ने अपनी और परिवार की सफलता का श्रेय गृहिणी के रूप में जिम्मेदारी संभालने वाली पत्नी लता हार्डिया को दिया।
मां का ही एक रूप है डॉक्टर
डॉ. हार्डिया ने कहा, यह सम्मान शहर के लोगों और मरीजों की सेवा की वजह से मिला है। मैं बस यही संदेश देना चाहता हूं कि डॉक्टर धरती के भगवान नहीं, बल्कि दूसरी मां के रूप में होते हैं। युवा डॉक्टरों को भी इसी भाव से मरीजों की देखरेख करना चाहिए।
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डॉ. हार्डिया ने कहा, यह सम्मान शहर के लोगों और मरीजों की सेवा की वजह से मिला है। मैं बस यही संदेश देना चाहता हूं कि डॉक्टर धरती के भगवान नहीं, बल्कि दूसरी मां के रूप में होते हैं। युवा डॉक्टरों को भी इसी भाव से मरीजों की देखरेख करना चाहिए।
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