आरोपी ने दूसरे के नाम से फर्जी सिम ले रखी थी और उसकी के जरिए काल करता था। आरोपी को केस दर्ज होने का चला तो छिप गया था। उसके आधार कार्ड में भी गलत पता दर्ज है। अग्रवाल के मुताबिक, आरोपी से पता चला कि वह फरियादी से ज्यादा राशि वसूलने के चक्कर में डीसीपी इंटीलीजेंस के नाम से 8 लाख मांंग रहा था। फरियादी को स्कूप कॉलिंग की थी। फरियादी के मोबाइल पर डीसीपी इंटेलीजेंस के नाम से फोन आया था। जब आरोपी को लगा कि फरियादी ने पुलिस को शिकायत कर दी है तो डीसीपी इंटेलीजेंस रजत सकलेचा को फरियादी के नाम से फोन किया। डीसीपी ने केस दर्ज होने की जानकारी दी तो वह फरियादी को धमकाने भी लगा था। पुलिस ने बैंक खाते की जांच की तो कई बार 5 से 10 लाख रुपए जमा होने की बात सामने आई। आशंका है कि देश के कई लोगों से वह नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर लाखों वसूल चुका है। पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही हैै।