मूक प्राणियों को जीवनदान का संकल्प
वरघोड़े के अवसर पर संकल्प गया लिया कि 50 से अधिक मूक व निरह प्राणियों को कत्लखाने जाने से बचाकर गौ शाला पहुंचाएंगे। अभा श्री राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद, इंदौर, राणापुर, जोधपुर व जालना शाखा के माध्यम से बीमार और अयोग्य वृद्ध पशुओं को खरीदा जाएगा।
दीक्षा क्यो? _ स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजना है
दीक्षा क्यों संवाद में दीक्षार्थी मयंक पावेचा बोले, बाल्य काल से धर्म में रुचि और साधु-साध्वी से संसार को देखने की समझ मिली। आत्मा को शुद्ध-बुद्ध बनाने के लिए संयम जरूरी है। मोक्ष के लिए संयम एकमात्र मार्ग है। जहां साधनों को छोड़ साधना कर स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजा जा सकता है।
वरघोड़े के अवसर पर संकल्प गया लिया कि 50 से अधिक मूक व निरह प्राणियों को कत्लखाने जाने से बचाकर गौ शाला पहुंचाएंगे। अभा श्री राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद, इंदौर, राणापुर, जोधपुर व जालना शाखा के माध्यम से बीमार और अयोग्य वृद्ध पशुओं को खरीदा जाएगा।
दीक्षा क्यो? _ स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजना है
दीक्षा क्यों संवाद में दीक्षार्थी मयंक पावेचा बोले, बाल्य काल से धर्म में रुचि और साधु-साध्वी से संसार को देखने की समझ मिली। आत्मा को शुद्ध-बुद्ध बनाने के लिए संयम जरूरी है। मोक्ष के लिए संयम एकमात्र मार्ग है। जहां साधनों को छोड़ साधना कर स्वयं में स्वयं को स्वयं से खोजा जा सकता है।