राज्य शिक्षा केंद्र इस बार इन परीक्षाओं का रिजल्ट भी बोर्ड की तर्ज पर ऑनलाइन जारी कर रहा है। इसके चलते मूल्यांकन कार्य में पहली बार रोल नंबर के बजाय कॉपियों की जमावट और शीट में अंक चढ़ाए जाने का काम छात्रों की समग्र आईडी अनुसार किए जाने के निर्देश दिए हैं। यह निर्देश जांचकर्ता शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। शिक्षकों को समग्र आईडी के अनुसार कॉपियां जमाने से लेकर अंक चढ़ाने तक में काफी परेशानी आ रही है। परेशानी का बड़ा कारण समग्र आईडी ढूंढऩा है, क्योंकि समग्र आईडी क्रमानुसार नहीं है। एक-
एक छात्र की समग्र आईडी की तलाश करने में अब शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं। जितना समय कॉपियां जांचने में नहीं लग रहा है, उससे अधिक समय उन्हें समग्र आईडी नंबर की तलाश करने में लग रहा है। अधिकारियों ने भी समग्र आईडी के हिसाब से ही काम करने की जानकारी पहले दिन नहीं देते हुए दूसरे दिन दी है।
नाम एक जैसे होने से दिक्कत समग्र आईडी के नंबर तलाश करना तो परेशानी की वजह है ही, उससे बड़ी परेशानी छात्रों का एक जैसा नाम भी बना है। एक शिक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि समग्र आईडी में कई छात्रों के पिता का नाम नहीं है। उदाहरण के लिए अर्पित नाम के दो से अधिक छात्र हैं, लेकिन आईडी में अर्पित के पिता का नहीं होने से दिक्कत खड़ी हो रही है। शिक्षकों को समझ नहीं आ रहा कि ऐसे में छात्रों के नंबर कहीं दूसरे के नाम के आगे दर्ज नहीं हो जाएं।
पानी की व्यवस्था तक नहीं पहले ही गर्मी से हाल बेहाल हैं। ऐसे में कुछ मूल्यांकन केंद्रों पर पंखे तक की व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी की भी कोई सुविधा नहीं है। शिक्षक खुद घरों से पानी ला रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि गर्मी इतनी अधिक है कि एक बोतल पानी आधी दोपहर में ही खत्म हो जाता है। ऐसे में पानी के लिए इधर- उधर भटकना पड़ रहा है।