जहां स्वाइन फ्लू के लक्षण होने पर इलाज शुरू किया गया। 7 मई को सेंपल जांच के लिए भोपाल
एम्स भेजे गए थे। बुधवार को मिली रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। हालांकि, बुधवार को ही मरीज की हालत स्थिर होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। मरीज का कहना है, वह लंबे समय से शहर से बाहर नहीं गया है। इस वर्ष स्वाइन फ्लू का यह दूसरा मामला है। इससे पहले जनवरी माह में एक महिला मरीज की मौत हुई थी। इस वर्ष स्वाइन फ्लू के 112 सेंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। वहीं, डेंगू के दो मरीजों की भी पुष्टि हुई हैं, अब तक 6 मरीज मिल चुके हैं।
मालूम हो, वर्ष स्वाइन फ्लू सहित अन्य वायरल बीमारियों का कहर वर्ष 2015 के बाद सबसे ज्यादा था। गर्मी का मौसम शुरू होने पर वायरस का प्रकोप कम हो जाता है। तापमान 40 डिग्री से ऊपर होने के बाद भी मरीज मिलने पर स्वास्थ्य अधिकारी आश्चर्य में हैं। लालबाग इलाके में मच्छर नाशक दवा छिडक़ाव के निर्देश दिए हैं।
इस तापमान पर स्वाइन फ्लू के वायरस का सरवाइव करना आश्चर्यजनक है। प्रदेश में और भी मामले सामने आने से यह कह सकते हैं कि वायरस अपना रूप बदल रहा है। जेनेटिक न्यूटेशन होने से वायरस का आकार, प्रकार व तीव्रता भी बदलती है। प्रदेश में वायरस की पहचान की व्यवस्था है, लेकिन उसमें होने वाले बदलाव के लिए कल्चर व सेंसटिविटी टेस्ट की नहीं है। ऐसे में बदलाव की जानकारी नहीं मिल पाती।
डॉ. धर्मेन्द्र झंवर, प्रोफेसर एमजीएम मेडिकल कॉलेज स्वाइन फ्लू व चिकनगुनिया पर पेश करेंगे प्रत्युत्तर
शहर में कुछ माह पहले चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, वायरल और डेंगू सहित कई बीमारियां फैली थीं। कई लोगों ने जान भी गंवाई। इस मुद्दे को लेकर हाइ कोर्ट में दायर जनहित पर बुधवार को सुनवाई हुई। जस्टिस पीके जायसवाल व एसके अवस्थी की बेंच के समक्ष राज्य सरकार द्वारा पेश जवाब पर याचिकाकर्ता प्रत्युत्तर पेश करेंगे कोर्ट ने ६ सप्ताह का आखिरी मौका दिया है। शासन ने १४० पेज का जवाब पेश कर बताया, बीमारियों की रोक के लिए प्रयास किए गए हैं, जन जागरूकता अभियान चलाया गया। याचिका पर केंद्र-राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, कलेक्टर और निगम कमिश्नर को नोटिस जारी किए गए हैं। याचिकाकर्ता पूर्व पार्षद महेश गर्ग का कहना है, शहर कागजों में भले ही सफाई में नंबर हो, पर नाले-नालियां अभी भी गंदे हैं।