– स्वास्थ विभाग को भी नहीं दे रहे जानकारी
खासबात है की इन निजी लैबों पर हो रही एच१एन१ की जांचो की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के पास सिर्फ वही जानकारी आ रही है जो स्वाइन फ्लू के लिए चिन्हित अस्पताल विभाग को सैंपल भेज रहे हैं। दरअसल हो ये रहा है की कई मरीज छोटे अस्पतालों में भर्ती होकर सीधे लैबों पर पहुंचकर अपनी जांचे करवा रहे हैं। एसे कई मरीज हर दिन इन निजी लैबों पर पहुंचकर जांच करवा रहे हैं। इन मरीजों में एच१एन१ पॉजीटीव बताया जा रहा है। जैसे ही रिपोर्ट आती है परिजन घबराकर हताश हो जाते हैं। लेकिन जब वह सीनियर डॉक्टरों और संबंधित अस्पतालों में पहुंचते हैं तो वहां मरीज को इनफ्लूएंजा ए या फ्लू वायरस के लक्षण दिखते हैं। परिजन फिर राहत की सांस लेते हैं। एसे में निजी लैबों की सीधे मिल रही रिपोर्ट से डर का माहौल पैदा हो रहा है। इसका कुछ निजी अस्पताल फायदा भी उठा रहे हें और मरीजों को सीधे आईसीयू में भर्ती किया जा रहा है।
– वेक्सीन से मिल सकती है राहत
स्वाइन फ्लू व इससे संबंधित वायरस के मरीजों का इलाज कर रहे शहर के सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. दीपक बंसल ने बताया की निजी लैबों की रिपोर्ट से बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है। जरूरत है संबंधित डॉक्टर के पास जाकर उचित सलाह लेने की। हम देख रहे हें की जितने मरीज एच१एन१ पॅाजीटिव रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं उनमें अन्य वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा ए या फ्लू के लक्षण मिल रहे हैं। कई बार मरीज बिना आईसीयू में रखे ही सीधे दो से तीन दिनों में ठीक हो रहे हैं। इसलिए अगर लैब एच१एन१ पॉजीटीव रिपोर्ट भी दे तो घबराएं नहीं। डॉ. बंसल ने बताया की स्वाइन फ्लू व इससे जुड़ी बीमारियों के लिए बाजार में वेक्सीन भी उपलब्ध है। जो जुलाई से नवंबर माह तक लगवाए जा सकते हैं। इसको लगवाने के बाद के रिजल्ट सामने आए हैं की जिन्होंने वेक्सीन लगाए वे ६० से ७० प्रतिशत मरीज एच१एन१ व इससे जुड़े वायरसों से बच सकते हैं। लोगों को इसकी जानकारी नहीं होने की वजह से वे नहीं लगवाते। इस वेक्सीन की कीमत भी कम होती है। साल में एक बार लगवाना पड़ता है क्योंकि हर साल वायरस अपना स्वरूप बदल लेता है।
– हम दोनों जगह भेज रहे सैंपल
इस संबंध में हमने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जडिय़ा से बात की तो उनका कहना है की स्वाइन फ्लू के लिए चिन्हित अस्पतालों से आने वाले मरीजों के सैंपल हम भोपाल और इंदौर की निजी लैब में भेज रहे हें। यहा ंसे जल्दी रिपोर्ट मिलने के चलते मरीज का प्राथमिक इलाज शुरू कर देते हैं वहीं भोपाल की रिपोर्ट आने के बाद उसे ही डाटा में शामिल कर रहे हैं। कुछ मामलों में एसा देखा गया है की दोनों जगह की एक ही मरीज की रिपोर्ट में अंतर आ रहा है। जो मरीज सीधे निजी लैबों पर एच१एन१ की जांच करवा रहे हैं और अगर लैब उन्हें पॉजीटिव बता रहा है तो हम एसे मरीजो ंकी जानकारी भी अब लैबों से मांगेगे।