देवी अहिल्याबाई की स्मृतियां, संस्कार, विचार, शिक्षाएं, उपदेश सुरक्षित हैं स्वामी अवधेशानंद (Swami Avdheshanand Giri) ने कहा कि यह भवन प्राचीर, स्थापत्य, वास्तु, वैभव और आकार की दृष्टि से भले ही छोटा हो लेकिन इसमें देवी अहिल्याबाई की स्मृतियां, संस्कार, विचार, शिक्षाएं, उपदेश एवं संवेदनाएं सुरक्षित हैं जो इसे विशिष्ट बनाती हैं। धर्म के बिना मनुष्य पशु जैसा है। जहां धर्म नहीं रहेगा वहां पारमार्थिकता भी नहीं रह सकती। मैं इस बात से भी अभिभूत हूं कि भवन को बनाने में आमजनों से सहयोग लिया। सामान्य लोगों से लिया हुआ सहयोग फलीभूत होता है।
बताई मां अहिल्याबाई के शासन प्रणाली की विशेषताएं
स्वामी अवधेशानंद (Swami Avdheshanand Giri) ने कहा कि कर कैसे लेना चाहिए यह हम अहिल्याबाई के शासन से सीख सकते हैं। टैक्स विवशता, आग्रह, छीनकर नहीं बल्कि इस तरह लिया जाना चाहिए जैसे मधुमक्खी फूलों से रस लेती है। फूल को मालूम भी नहीं पड़ता कि उससे कोई उसका संपूर्ण ले गया है। उसकी नैसर्गिकता भी बनी रहती है।
स्वामी अवधेशानंद (Swami Avdheshanand Giri) ने कहा कि कर कैसे लेना चाहिए यह हम अहिल्याबाई के शासन से सीख सकते हैं। टैक्स विवशता, आग्रह, छीनकर नहीं बल्कि इस तरह लिया जाना चाहिए जैसे मधुमक्खी फूलों से रस लेती है। फूल को मालूम भी नहीं पड़ता कि उससे कोई उसका संपूर्ण ले गया है। उसकी नैसर्गिकता भी बनी रहती है।
स्वामी अवधेशानंद गिरी को भेंट की गई स्मृति चिन्ह संस्था की ओर से लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष व पूर्व इंदौर सांसद सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan), इंदौर सांसद शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) ने स्वामी अवधेशानंद गिरी (Swami Avdheshanand Giri) का स्वागत किया। स्मृति चिन्ह सुधीर देड़गे ने भेंट किया। संचालन निलेश केदारे ने किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक मालिनी गौड़, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, शरयू वाघमारे, रामस्वरूप मूंदड़ा, अशोक डागा समेत बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।