मंदिर में मान्यता है कि भगवान गणेश से मनोकामना मांगने व उल्टा स्वस्तिक बनाने पर वह पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु सीधा स्वस्तिक बनाते हैं व लड्डुओं का भोग लगाते हैं। सबसे अधिक मनोकामना चतुर्थी के दिन श्रद्धालु मांगते हैं। विनायकी चतुर्थी पर नए काम शुरू करना शुभ होता है। बुधवार को को विनायकी चतुर्थी पर अधिक संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
घर के लिए भी मन्नत
मंदिर की दीवारों पर विद्यार्थी ही नहीं घर की चाह रखने वाले, संतान प्राह्रिश्वत, शादी आदि की मनोकामना को लेकर भी श्रद्धालु उल्टा स्वस्तिक बनाकर जाते हैं। मंदिर की दीवारों पर हजारों की संख्या में उल्टे स्वस्तिक बने हुए हैं। आसपास मनोकामना भी लिख जाते हैं।
25 फीट ऊंची प्रतिमा
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. धनेश्वर दाधीच ने बताया, 1901 में पं. नारायण दाधीच ने मूर्ति स्थापना कराई थी। यह 25 फीट ऊंची व 14 फीट चौड़ाई की पूरे भारत में स्थापित देवता रूप में एक मात्र प्रतिमा है। इसकी स्थापना में अष्टधातु, सभी पवित्र नदियों के जल, तीर्थ स्थानों की मिट्टी का समावेश किया गया। पहले यह खुले में थी। धीरे-धीरे यहां पर गर्भगृह का निर्माण हुआ। पं. राजेंद्र दाधीच ने बताया, बुधवार व विनायकी चतुर्थी होने पर अधिक संख्या में श्रद्धालु आएंगे। सुबह परिसर में स्थापित छोटे गणेश को चोला चढ़ाया जाएगा। अभिषेक, पूजन के साथ महाआरती होगी।
खजराना गणेश में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु
पं. अशोक भट्ट ने बताया, बुधवार व विनायकी चतुर्थी का संयोग होने से लगभग एक लाख श्रद्धालुओं के खजराना गणेश मंदिर पर पहुंचने का अनुमान है। सुबह पंचामृत से अभिषेक व स्नान कराया जाएगा। इसके बाद आकर्षक शृंगार और महाआरती होगी। विशेष पूजन व भोग भी लगाया जाएगा। चतुर्थी पर महिलाएं व्रत रखती हैं व दर्शन के लिए अधिक संख्या में पहुंचती हैं। शाम को चंद्रमा दर्शन व भगवान श्री गणेश के दर्शन के बाद व्रत पारणा किया जाता है।