सरकार ने रजिस्ट्री के लिए बनाए गए संपदा सॉाफ्टवेयर में सुरक्षा व निगरानी के लिए अलग-अलग फीचर डाले, ताकि नकली, फर्जी रजिस्ट्री, स्टाम्प शुल्क की चोरी सामने आ सके। इंदौर रजिस्ट्रार ऑफिस में परिक्षेत्र क्रमांक ३ के जिला पंजीयक आरएन शर्मा ने महानिरीक्षक पंजीयक को मामले की शिकायत करते हुए कहा है, रिपोर्ट मॉड्यूल बंद होने से रजिस्ट्रियों की निगरानी में दिक्कत हो रही है। रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी की कमी या चोरी की आशंका पर स्पॉट निरीक्षण नहीं हो रहा है। सर्विस प्रोवाइडर्स या प्रस्तुतकर्ता द्वारा की जा रही गणना और संपत्ति के आधार पर ही रजिस्ट्रियां हो रही हैं। विजय नगर परिक्षेत्र में रजिस्ट्रियों के निरीक्षण में सारा मामला सामने आया। बीते दो माह में ३५ से अधिक रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी मिली। इससे पहले करीब ३९ से अधिक प्रकरण सामने आए थे। अन्य परिक्षेत्र के दस्तावेजों की भी जांच करवाई जा रही है, जिसमें इस तरह के प्रकरण सामने आ रहे हैं।
सरकार ने स्टाम्प शुल्क चोरी रोकने के लिए रजिस्ट्रियों को ऑनलाइन किया था। सरकार की सोच थी कि रजिस्ट्री करवाते समय ही पूरा स्टाम्प शुल्क व अन्य कर नकद मिल जाएंगे। इस पर निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर में ही रिपोर्ट मॉड्यूल तैयार किया गया, जिसमें रजिस्ट्री की अंतिम प्रति होती है। इसे जिला पंजीयक अपने स्तर पर खोलकर रजिस्ट्री का ऑनलाइन अवलोकन करते हैं। इस मॉड्यूल से ही रजिस्ट्री की नकल व अन्य प्रति भी दी जा सकती है। रजिस्ट्री करवाने वाला भी रजिस्ट्री देख सकता है। यह व्यवस्था चाहे जब तकनीकी खराबी बताकर बंद कर दी जाती है। कई दिनों से यह मॉड्यूल बंद है।
जानकारी के अनुसार एक प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में स्टाम्प शुल्क गणना गाइड लाइन के आधार पर की जाती है। रजिस्ट्री प्रस्तुतकर्ता इस पर निर्माण में घालमेल करते हैं। प्रॉपर्टी की लोकेशन छिपाकर कम गणना करते हैं। कृषि भूमि में सिंचित-असिंचित का अंतर कर देंते हैं। फ्लैट्स आदि में सुपर बिल्डअप एरिया कम-ज्यादा कर देते हैं।