उन्होंने बताया कि 18 मार्च को अपरान्ह 4.30 बजे खालसा स्टेडियम यज्ञस्थल पर भूमिपूजन का कार्यक्रम नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर पद्मश्री एवं पद्मभूषण सोमयाजी दीक्षित गोस्वामी गोकुलोत्सव महाराज एवं डॉ आचार्य गोस्वामी बृजोत्सव महाराज करेंगे। 25 मार्च को अपरान्ह 4.30 बजे यशवंतगंज, लाल अस्पताल के सामने स्थित गोवर्धननाथ मंदिर से 208 मंगल कलशधारी महिलाओं सहित भव्य कलशयात्रा प्रारंभ होगी जो गोराकुंड, सीतलामाता बाजार, नृसिंह बाजार, लोधीपुरा, मालगंज चौराहा होते हुए सीधे यज्ञस्थल खालसा स्टेडियमए राजमोहल्ला पहुंचेगी, जहां विद्वान आचार्यों के निर्देशन में कलश स्थापना की जाएगी। कलशयात्रा में आचार्य गोस्वामी गोकुलोत्सवजी महाराज रथ पर सवार रहेंगे और दक्षिण भारत से आए महापंडित भी आचार्य डॉ बृजोत्सव महाराज के साथ पैदल चलेंगे।
सोमयज्ञ एवं विष्णु गोपाल महायज्ञ को संपादित कराने के लिए दक्षिण भारत के कर्नाटकए महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों से चारों वेदों के विद्वान ब्राम्हण ऋत्विज भी इंदौर आएंगे जिनकी सहमति प्राप्त हो चुकी है। देश-विदेश के कई लोग महायज्ञ में शामिल होगी।
मनुष्य जीवन यज्ञ संस्कृति से जुड़ा हुआ है। सोमयज्ञ से समस्त देव एवं सृष्टि प्रसन्न और तृप्त होते हैं। मनुष्य का जीवन भी धन-धान्य एवं संपत्ति से संपन्न बनता है। इसमें 17 की संख्या में अनुष्ठान होता है। सत्रह का अंक परम ब्रम्ह भगवान की संख्या व शक्ति का ***** अंक है इसलिए इस यज्ञ में 17 ऋत्विज ब्राम्हण पंडितए, 17 आरा का चक्र, 17 ध्वजा, 17 की संख्या में समस्त यज्ञीय सामग्री एवं दक्षिणा होती है। सोमयज्ञ से समस्त दोष दूर होते हैं। यजुर्वेद यज्ञ से सर्पदोष, कालसर्प दोष, नाग दोष, पितृदोष, गृह दोष आदि दूर होते हैं। यज्ञ के पवित्र धूम्र से वातावरण एवं पर्यावरण शुद्ध होता है तथा समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सोमयज्ञ की साक्षी में विष्णु गोपाल महायज्ञ में आहुतियां देने से आहुति की शक्ति अनेक गुणा बढ़ जाती है। यह माना गया है कि एक हजार राजसूय यज्ञों का फल एक अश्वमेध यज्ञ से प्राप्त होता है। एक हजार अश्वमेध यज्ञ का फल एक सोमयज्ञ से प्राप्त होता है और एक हजार सोमयज्ञ का फल एक वाजपेय बृहस्पति सोमयज्ञ से मिलता है। विष्णु गोपाल यज्ञ हमारे समस्त मनोरथ पूर्ण करता है।
सोमयज्ञ में आने वाले भक्त पूरी तरह अखंड चावल को घी और हल्दी से रंगकर अपने साथ लाएंगे। इन चावलों को 25 मार्च की शोभायात्रा एवं यज्ञ की परिक्रमा लगाकर मनोकामना कलश, जो यज्ञ स्थल पर स्थापित होगा में पधराना होगा। यज्ञ में बैठने वालों को पूरे समय एकादशी फलाहार ग्रहण करना होगा। महिलाएं केशरिया एवं पीली साड़ी तथा पुरूषवर्ग धोती-कुर्ता, बंडी, अंगरखी धारण करेंगे।