शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता बोले- मैं उसे गीता दिलाने की सोचता था, वह तो खुद कृष्ण निकला
इंदौर. धारा 370 बहुत पहले हट जाना चाहिए थी। यह हमारे नेताओं द्वारा पूर्व में हुई एक गलती थी, जिसे अब मोदी सरकार ने सुधारा है। इसके हटने के बाद कश्मीर में हालात बदल जाएंगे। याद करिए वह दिन जब पीओके से लगातार घुसपैठ हो रही थी। आतंकी देश के हर कोने में घुस रहे थे। मुंबई हो दिल्ली या फिर अन्य शहर। हर जगह आतंकी पहुंच रहे थे। पिछले कुछ सालों में हमने जो कदम उठाए हैं, उसके बाद घुसपैठ बहुत कम हो गई है। पाकिस्तान कोई भी गलत हरकत करने से पहले अब हजार बार सोचता है। यदि यह सब पहले हुआ होता तो शायद करगिल का युद्ध ही नहीं होता। बहुत से सैनिकों की जान बच जाती और कश्मीर के हालात भी कुछ और होते।
यह कहना है शहीद विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा और मां कमलकांत बत्रा का जो 15 अगस्त को रीगल तिराहे पर होने वाले कार्यक्रम में तिरंगा फहराने के लिए इंदौर पहुंचे थे। पिता जीएल बत्रा ने कहा कि मैं हमेशा विक्रम को गीता लाकर देने की सोचता था, लेकिन वह तो खुद कृष्ण निकला। मुझे लगता था कि विक्रम और उसके भाई – बहन गीता पढ़ेंगे तो उनमें मातृभूमि के प्रति एक आदर का भाव जागेगा। जब वह शहीद हुआ तो लगा कि उसने सही मायने में गीता को चरितार्थ कर दिया। बेटा आज हमारे बीच नहीं है। उसकी कमी तो हमेशा खलेगी, लेकिन वह जिस वजह से हमारे बीच नहीं है, उस पर हमें गर्व है। वह अपने देश के लिए हमें छोडक़र गया है।
नए भारत की छवि गढ़ रहे हैं जीएल बत्रा ने कहा कि धारा 370 को संवैधानिक रूप से हटाया गया है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मजबूत संदेश गया है। हम दुनिया को दिखा रहे हैं कि भारत बदल रहा है। सेना की भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं और हम हर मोर्चे पर खुद को मजबूत कर रहे हैं। यह सभी कदम एक नए भारत की छवि गढ़ रहे हैं।
पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, हमें उस पर नजर रखना है मां कमलकांत बत्रा ने कहा, पहले पाकिस्तान हमेशा कहता था कि कश्मीर हमारा है। धारा 370 हटने के बाद वह गलती से भी यह नहीं कहेगा कि कश्मीर हमारा है। अब बस हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हर कश्मीरी को यह यकीन दिलाना है कि वह हमारे देश का अभिन्न हिस्सा है। हमें सौहाद्र्रपूर्ण माहौल बनाना है और शांति स्थापित करके रखना है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और हमें उसकी हर हरकत पर नजर भी रखना है। 370 के कारण एक मोनोपॉली बनी हुई थी, जिसे हमने तोड़ दिया है। अब हमें वहां के माहौल को खुशनुमा बनाने पर ध्यान देना होगा।
तिरंगा लहराकर आऊंगा या उसमें लिपटकर आऊंगा गुरुवार को इंदौर के रीगल तिराहे कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारीलाल बत्रा और मां कमलकांता बत्रा ने तिरंगा झंडा फहराया। इस दौरान पिता ने शहीद विक्रम बत्रा की यादों को लोगो के साथ साझा किया और उनके गौरव की गाथा सुनाई। साथ ही यह भी बताया कि विक्रम ने एक बार उनके मित्र से कारगिल में जाने से पहले कहा था कि मैं जीत कर तिरंगा लहराकर आऊंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन आऊंगा जरूर। दिल मांगे मोर का नारा देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य से करीब 5 चौकियों पर फतह हासिल करते हुए अपनी जान क़ुर्बान कर दी थी।
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