इंदौर. शहर के अलग-अलग इलाकों में मौजूद पुलिस सहायता केंद्रों को ही पुलिसिया सहायता की दरकार है। इन सहायता केंद्रों पर रात में पुलिस की गैरमौजूदगी अब सामान्य बात हो गई है। कई बार देर रात दुर्घटनाओं के शिकार भागते हुए मदद मांगने के लिए इन सहायता केंद्र पर पहुंचते हैं तो यहां पर खाली कुर्सियां या फिर बंद दरवाजा ही मिलता है।
देर रात सडक़ पर होने वाली लूट की घटनाएं अब आम बात हो चली हैं। पेशेवर बदमाश हाथ में चाकू लिए सडक़ चलते राहगीरों को रोककर बेधडक़ अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे में शहर में जगह-जगह चौराहों पर बनाए पुलिस के सहायता केंद्र सिर्फ नाम के लिए ही रह गए हैं, क्योंकि न तो यहां कोई पुलिस जवान मौजूद रहता है और न ही कोई सुनने वाला। शहर के मध्य क्षेत्र में होने वाली इन घटनाओं के बावजूद पुलिस के आला अफसरों का सुरक्षा बंदोबस्त सिर्फ सडक़ों पर बैरिकेट लगाने तक ही सीमित है। किसी भी घटना के बाद पुलिस के सहायता केंद्र पर कोई मदद मांगने जाता भी है तो वहां बंद कमरे की खाली कुर्सियों के अलावा कुछ नहीं मिलता। पत्रिका ने देर रात शहर के प्रमुख इलाकों पर मौजूद पुलिस सहायता केंद्रों की हकीकत टटोली तो हकीकत सामने आ गई। कहीं पर सहायता केंद्र के दरवाजे बाहर से ही बंद मिले तो कहीं पर केंद्रों को ही सहायता की दरकार नजर आई।
देर रात सडक़ पर होने वाली लूट की घटनाएं अब आम बात हो चली हैं। पेशेवर बदमाश हाथ में चाकू लिए सडक़ चलते राहगीरों को रोककर बेधडक़ अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे में शहर में जगह-जगह चौराहों पर बनाए पुलिस के सहायता केंद्र सिर्फ नाम के लिए ही रह गए हैं, क्योंकि न तो यहां कोई पुलिस जवान मौजूद रहता है और न ही कोई सुनने वाला। शहर के मध्य क्षेत्र में होने वाली इन घटनाओं के बावजूद पुलिस के आला अफसरों का सुरक्षा बंदोबस्त सिर्फ सडक़ों पर बैरिकेट लगाने तक ही सीमित है। किसी भी घटना के बाद पुलिस के सहायता केंद्र पर कोई मदद मांगने जाता भी है तो वहां बंद कमरे की खाली कुर्सियों के अलावा कुछ नहीं मिलता। पत्रिका ने देर रात शहर के प्रमुख इलाकों पर मौजूद पुलिस सहायता केंद्रों की हकीकत टटोली तो हकीकत सामने आ गई। कहीं पर सहायता केंद्र के दरवाजे बाहर से ही बंद मिले तो कहीं पर केंद्रों को ही सहायता की दरकार नजर आई।
मालवा मिल चौराहा
समय : रात 1.05 बजे
देर रात तक ट्रैफिक से आबाद रहने वाले इस चौराहे पर पुलिस सहायता केंद्र पर पुलिस सिर्फ सडक़ पर चैकिंग के दौरान ही मौजूद रहती है। रात 12 बजे बाद से पुलिस सहायता केंद्र के ठीक सामने मौजूद देशी शराब दुकान के बाहर शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है। रात एक बजे परदेशीपुरा थाने का यह पुलिस सहायता केंद्र पूरी तरह सुनसान था। दरवाजा तो खुला हुआ था लेकिन अंदर खाली पड़ी कुर्सियों के अलावा सिर्फ अंधेरा ही था।
समय : रात 1.05 बजे
देर रात तक ट्रैफिक से आबाद रहने वाले इस चौराहे पर पुलिस सहायता केंद्र पर पुलिस सिर्फ सडक़ पर चैकिंग के दौरान ही मौजूद रहती है। रात 12 बजे बाद से पुलिस सहायता केंद्र के ठीक सामने मौजूद देशी शराब दुकान के बाहर शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है। रात एक बजे परदेशीपुरा थाने का यह पुलिस सहायता केंद्र पूरी तरह सुनसान था। दरवाजा तो खुला हुआ था लेकिन अंदर खाली पड़ी कुर्सियों के अलावा सिर्फ अंधेरा ही था।
चिमनबाग चौराहा
समय : रात 12.55 बजे
चिमनबाग चौराहे के पुलिस सहायता केंद्र का दरवाजा तो खुला हुआ था, अंदर लाइटें भी जल रही थीं। कुॢसयों को लाइन से लगाकर रखा गया था लेकिन उन पर कोई बैठा नहीं थी। अमूमन रात के समय खाली रहने वाले इस सहायता केंद्र पर एक बुजुर्ग अपनी परेशानी लेकर पहुंचा भी था, लेकिन पुलिस के इस सहायता केंद्र पर सुनवाई के लिए कोई मौजूद नहीं था। आखिरकार मदद के लिए बुजुर्ग को राह चलते एक नौजवान ने एमजी रोड थाने जाकर ही अपनी पीड़ा बताने की सलाह देते हुए गाड़ी आगे बढ़ा ली।
समय : रात 12.55 बजे
चिमनबाग चौराहे के पुलिस सहायता केंद्र का दरवाजा तो खुला हुआ था, अंदर लाइटें भी जल रही थीं। कुॢसयों को लाइन से लगाकर रखा गया था लेकिन उन पर कोई बैठा नहीं थी। अमूमन रात के समय खाली रहने वाले इस सहायता केंद्र पर एक बुजुर्ग अपनी परेशानी लेकर पहुंचा भी था, लेकिन पुलिस के इस सहायता केंद्र पर सुनवाई के लिए कोई मौजूद नहीं था। आखिरकार मदद के लिए बुजुर्ग को राह चलते एक नौजवान ने एमजी रोड थाने जाकर ही अपनी पीड़ा बताने की सलाह देते हुए गाड़ी आगे बढ़ा ली।
संजय सेतु, नार्थतोड़ा
समय : रात 12.40
जवाहर मार्ग से संजय सेतु के लिए मुड़ते ही मौजूद सेंट्रल कोतवाली थाने के इस सहायता केंद्र पर बेरिकेड्स लगाकर चैकिंग के दौरान तो पुलिसकर्मी जरूर मौजूद रहते हैं, लेकिन चैङ्क्षकग खत्म होने के बाद सहायता केंद्र का दरवाजा लग जाता है। रात को बाहर से बंद इस दरवाजे के अंदर सहायता की कोई गुंजाइश नहीं बचती। यहां आने वाले लोगों को यदि किसी भी तरह की परेशानी पर पुलिस मदद चाहिए तो उन्हें दो किमी दूर सेंट्रल कोतवाली थाने ही जाना पड़ता है।
समय : रात 12.40
जवाहर मार्ग से संजय सेतु के लिए मुड़ते ही मौजूद सेंट्रल कोतवाली थाने के इस सहायता केंद्र पर बेरिकेड्स लगाकर चैकिंग के दौरान तो पुलिसकर्मी जरूर मौजूद रहते हैं, लेकिन चैङ्क्षकग खत्म होने के बाद सहायता केंद्र का दरवाजा लग जाता है। रात को बाहर से बंद इस दरवाजे के अंदर सहायता की कोई गुंजाइश नहीं बचती। यहां आने वाले लोगों को यदि किसी भी तरह की परेशानी पर पुलिस मदद चाहिए तो उन्हें दो किमी दूर सेंट्रल कोतवाली थाने ही जाना पड़ता है।
राजबाड़ा चौक
समय : रात 12.25 बजे
हर त्योहार, हर जश्न का साक्षी रहने वाले राजबाड़ा चौक के पुलिस सहायता केंद्र पर वैसे तो हर बड़ा अफसर आकर बैठता है, रात होते ही यह केंद्र भी वीरान हो जाता है। पास ही सराफा बाजार देर रात तक रोशन रहता है और अधिकतर यहां आने-जाने वाले राजबाड़ा चौक होकर ही गुजरते हैं। ऐसे में देर रात किसी तरह की मदद के यदि पुलिस की जरूरत हो तो यहां कोई नहीं मिलता।
समय : रात 12.25 बजे
हर त्योहार, हर जश्न का साक्षी रहने वाले राजबाड़ा चौक के पुलिस सहायता केंद्र पर वैसे तो हर बड़ा अफसर आकर बैठता है, रात होते ही यह केंद्र भी वीरान हो जाता है। पास ही सराफा बाजार देर रात तक रोशन रहता है और अधिकतर यहां आने-जाने वाले राजबाड़ा चौक होकर ही गुजरते हैं। ऐसे में देर रात किसी तरह की मदद के यदि पुलिस की जरूरत हो तो यहां कोई नहीं मिलता।
बंबई बाजार
समय : रात 12.15 बजे
देर रात तक गुलजार रहने वाला बाजार होने के साथ ही यह संवेदनशील इलाकों में भी शुमार है। इसी वजह से पुलिस ने यहां पर वॉच टॉवर के साथ सहायता केंद्र बना रखा है, लेकिन इस सहायता केंद्र पर सिर्फ खास मौकों पर ही रात के समय पुलिस बंदोबस्त दिखाई देता है। आम दिनों में अन्य पुलिस सहायता केंद्रों की तरह यहां भी खाली कुर्सियों ही पीडि़तों का स्वागत करती है।
समय : रात 12.15 बजे
देर रात तक गुलजार रहने वाला बाजार होने के साथ ही यह संवेदनशील इलाकों में भी शुमार है। इसी वजह से पुलिस ने यहां पर वॉच टॉवर के साथ सहायता केंद्र बना रखा है, लेकिन इस सहायता केंद्र पर सिर्फ खास मौकों पर ही रात के समय पुलिस बंदोबस्त दिखाई देता है। आम दिनों में अन्य पुलिस सहायता केंद्रों की तरह यहां भी खाली कुर्सियों ही पीडि़तों का स्वागत करती है।