जस्टिस विवेक रूसिया व जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की बैंच ने यह भी कहा कि बस में अभिभावक या शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक सुरक्षा मानदंडों की जांच करने के लिए यात्रा कर सकते हैं। इन स्कूल बस में विद्यार्थियों के अलावा कोई और सफर नहीं करेगा।
चार से ज्यादा नहीं बैठ पाएंगे
हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, राज्य शिक्षा विभाग, जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को इन निर्देशों की जानकारी स्कूलों तक पहुंचाने और इसकी पालन कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि व्यक्तिगत ऑटो-रिक्शा में चार से ज्यादा विद्यार्थी नहीं बैठाए जाएं। इसका पालन कराने के लिए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, एसपी-सीएसपी ट्रैफिक जिम्मेदार होंगे। प्राचार्य और स्कूल प्रबंधन को वाहन प्रभारी के रूप में किसी भी वरिष्ठ शिक्षक-कर्मचारी को नियुक्त करना होगा।ऑटो में 4 से ज्यादा विद्यार्थी नहीं
-स्कूल बस का रंग पीला हो और स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। वाहन के आगे-पीछे नाम, पता और विद्यालय के वाहन प्रभारी का मोबाइल नंबर दोनों तरफ 9 इंच की बोर्ड पट्टी पर हो। -खिड़कियों पर जालीदार ग्रिल, मोटर वाहन नियम के तहत हो। -शीशों पर रंगीन फिल्म और पर्दे भी रंगीन नहीं होंगे। -स्कूल बस में प्राथमिक चिकित्सा किट, अग्निशामक यंत्र होगा। प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षित परिचारक होगा।
-ड्राइवर के पास न्यूनतम 5 वर्ष भारी वाहन चलाने का अनुभव। -संस्था शपथ-पत्र देगी कि खतरनाक ड्राइविंग नहीं होगी। बस में स्पीड गवर्नर लगा हो। -सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह हो। दाईं ओर आपात द्वार होगा। दरवाजों में लॉकिंग प्रणाली जरूरी होगी।
-स्कूल बसों में प्रेशर हॉर्न नहीं लगाया जाएगा। रात में इनका संचालन नहीं होगा व अंदर नीले रंग के बल्ब लगे हों। -बसों का नियमित रखरखाव एवं साफ-सफाई हो। फिटनेस, वैध बीमा, प्रदूषण नियंत्रण और टैक्स के भुगतान प्रमाण-पत्र जरूरी।
-कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
यह है मामला
5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल निपानिया की बस बायपास पर दुर्घटना ग्रस्त हुई थी। हादसे में चार विद्यार्थियों व ड्राइवर की मौत हुई थी। मामले में पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की थी। शहरवासियों और अभिभावकों ने सुरक्षा मापदंडों को लेकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता मनीष यादव के माध्यम से याचिकाएं लगाई थीं।ये थी मांगें
-सभी सीटों पर सीट बेल्ट हों। -बच्चों को कैबिन में न बैठाएं। -स्कूलों की सुरक्षा के लिए नियम बनाएं। -बस में दो महिला एवं दो पुरुष परिचारक हों। -पुरानी बसें 5 साल से अधिक न चलें। -विद्यालयों की फीस पर नियंत्रण लगे। -चालक-परिचालकों का अल्कोहल परीक्षण जरूरी हो।