प्राचीन भूतेश्वर मंदिर श्मशान भूमि पर स्थित है। हर कोई इस मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आता है। सावन और शिवरात्रि पर दर्शन के लिए लंबी लाइन लगती है। मंदिर की अनूठी कहानी भगवान शिव में भक्तों की आस्था बढ़ा देती है। मंदिर 300 साल पुराना है। मंदिर का निर्माण लोकमाता देवी अहिल्या ने कराया था। पंचकुइया मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने से मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर के साइड में मुक्तिधाम है। मुक्तिधाम पर कई बार दीवार बनाई गई, लेकिन बन नहीं सकी। किसी वरिष्ठ की राय के बाद महादेव के सामने अंतिम संस्कार हो, इसके लिए मंदिर और मुक्तिधाम की दीवार में एक-एक बड़ी खिडक़ी बनाई गई है। हर रोज जितने भी यहां अंतिम संस्कार होते हैं वो भोलेनाथ की साक्षी में होते हैं।
हर व्यापारी दर्शन के बाद बढ़ते हैं आगे पंचकुइया क्षेत्र रहवासी के साथ ही व्यावसायिक क्षेत्र को भी जोड़ता है। इस रास्ते से गुजरने वाले व्यापारी हर रोज अपने प्रतिष्ठान जाने से पहले दर्शन करके ही आगे बढ़ते हैं। बताया जाता है कि मंदिर के पीछे नदी जो अब नाला है यहां पर पुराने जमाने में अस्थि विसर्जन किया जाता था। यहां धार्मिक अनुष्ठान भी होते थे। सावन और शिवरात्रि में यहां मेला लगता है। छोटा हो या बड़ा हर किसी की आस्था भूतेश्वर मंदिर से जुड़ी है। मंदिर में हर साल यात्रा निकाली जाती है।
दो माह तक चलेगा अखंड रूद्राभिषेक पंचकुइया स्थित प्राचीन भूतेश्वर मंदिर पर रक्षाबंधन तक विभिन्न आयोजन होंगे। सावन के पहले दिन से ही अखंड रूद्रभिषेक शुरू हो गया है। 24 घंटे चलने वाले अभिषेक के लिए बटुक आए हैं। दो महीने मंदिर में ही रहेंगे। रोज पंचदेव पूजन के साथ ही अधिकमास के एक माह अंखड रूद्र महायज्ञ किया जा रहा है। सावन माह के दौरान विशेष पाठ भी किए जाते हैं।
भगवान भूतनाथ की निकलेगी बारात सावन माह में हर साल बाबा भूतेश्वर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस बार आठवें सोमवार को सवारी निकाली जाएगी। मंदिर परिसर से सवारी निकलेगी जो शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए पुन: मंदिर आएगी। बाबा के विग्रह प्रतिमा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहेंगे। जगह-जगह मंचों से स्वागत होगा। भूतों की बारात भी इस दौरान देखी जाएगी।