मान्यता के अनुसार, सर्वेश्वर भगवान ये मूर्ति काफी प्राचीन है और इस मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है। इस मूर्ति में राधा-कृष्ण का युगल स्वरूप दिखाई देता है। हालांकि, दर्शन करने के लिए मैग्निफाइंग ग्लास की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर किसी भक्त को मूर्ति के दर्शन करने हों तो वो सुबह 8 से 8.45 बजे के बीच इंदौर के अग्रवाल नगर में 16 फरवरी तक कर सकता है। मूर्ति श्रीजी महाराज के साथ ही राजस्थान के सलेमाबाद से आई है।
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जेड प्लस सेक्युरिटी में रखी गई मूर्ति
वैष्णवों के सभी संप्रदायों में निम्बार्क सबसे प्राचीन संप्रदाय है। मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक, भगवान सर्वेश्वर की ये ऐतिहासिक मूर्ति 600 वर्षों से सलेमाबाद स्थित आश्रम में रखी है। इससे पहले मूर्ति के वृंदावन में होने के रिकॉर्ड भी मिले हैं। संप्रदाय के प्रमुख संतों ने भी हजारों साल पहले मूर्ति के संबंध में ग्रंथों में उल्लेख किया था। ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए 30 साल पहले तत्कालीन सरकार ने इस मूर्ति को जेड प्लस सेक्युरिटी दी है। जब सुरक्षाकर्मियों की संख्या ज्यादा होने के कारण पूजा आदि में विघ्न होने लगा तो आश्रम ने सुरक्षा घेरा छोटा करने की मांग की। इसके बाद से लगातार चार सुरक्षाकर्मी और बीस सेवादार मूर्ति की सुरक्षा के काफिले में शामिल रहते हैं। हालांकि, मूर्ति की स्थानीय स्तर पर अलग से सुरक्षा की जाती है।
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नियत समय पर होते हैं दर्शन
सम्प्रदाय से जुड़े गोविंद राठी का कहना है कि, निंबार्काचार्य सम्प्रदाय सलेमाबाद के 49वें पीठाधीश्वर श्यामशरणदेवाचार्य ‘श्रीजी’ महाराज अग्रवाल नगर आए हैं। उनके आने पर भक्तों ने उनका स्वागत किया है। नियत समय पर सर्वेश्वर भगवान की मूर्ति और श्रीजी महाराज के दर्शन किये जा सकते हैं।