एक हजार हाथ
महिष्मती नगर (महेश्वर) में राजा सहस्त्रार्जुन का शासन था। वे क्षत्रियों के हैहय वंश के राजा कार्तवीर्य और रानी कौशिक के पुत्र थे। उनका वास्तविक नाम अर्जुन था। का नाम पहले महिष्मती हुआ करता था, उन्होंने दत्तात्रेय भगवान को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से भगवान दत्तात्रेय प्रसन्न हुए और वरदान मांगने की बात कही। तब सहस्त्राबाहु ने दत्तात्रेय से 1 हजार हाथों होने का वर मांगा। इसके बाद से उनका नाम सहस्त्रार्जुन पड़ गया।
जिस स्थान पर रावण भगवान शिव की पूजा कर रहा था, वह अचानक नर्मदा के जल में डूब गया। इसका कारण जानने के लिए रावण ने सैनिकों को भेजा। सहस्त्रबाहु ने अचानक नर्मदा का जल छोड़ दिया था, जिससे रावण की पूरी सेना भी बहाव में बह गई। नर्मदा तट पर रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। आखिर में सहस्त्रबाहु ने रावण को कैद कर लिया। रावण के दादा पुलस्त्य ऋषि सहस्त्रबाहु के पास आए और पोते को वापस मांगा। महाराज सहस्त्रबाहु ने ऋषि के सम्मान में उनकी बात मानते हुए रावण पर विजय पाने के बाद भी उसे मुक्त कर दिया और उससे दोस्ती कर ली।