दरअसल उन्हें आरटीआई में पूछे गए सवालों का जवाब सौ दो सौ पन्नों में नहीं बल्कि 48 से 50 हजार पन्नों में मिला है। आरटीआई कार्यकर्ता धर्मेंद्र शुक्ला ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक के यहां प्रथम अपील लगाई थी, जहां उन्हें पूरी जानकारी देने के निर्देश मिले। इसके बाद उन्हें 48 से 50 हजार पेपर्स पर उनके सवालों के जवाब मिले। जानें ऐसी क्या जानकारी मांगी थी धर्मेंद्र ने धर्मेंद्र ने आरटीआई जिला प्रशासन द्वारा की गई खरीदारी, जिसमें वेंटीलेटर मास्क दवाइयां और स्वास्थ्य संबंधी अन्य चीजों की जानकारी के लिए लगाई थी।
आरटीआई का जवाब लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें लोडिंग रिक्शा लेकर बुलाया था। याचिकाकर्ता एसयूवी गाड़ी से आरटीआई की जानकारी लेने पहुंचे, जिसके बाद पूरी गाड़ी आरटीआई की जानकारी वाले पेपर्स से भर गई। स्थिति यह हुई कि आईटीआई के पेपर्स से धर्मेंद्र के घर का एक कमरा भर गया। लगाए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप धर्मेंद्र शुक्ला ने कहा कि पूरे देश में इस तरह का यह पहला मामला हो सकता है, जहां करीब 50 हजार पन्नों में आरटीआई कार्यकर्ता को जानकारी उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि इस जानकारी को पढऩे में उन्हें 2 से 3 महीने लग जाएंगे, लेकिन जो भी भ्रष्टाचार हुआ है वो सामने आ जाएगा। धर्मेंद्र शुक्ला ने कहा कि पहली बात तो यह कि स्वास्थ्य विभाग उन्हें कोई जानकारी नहीं देना चाहता था। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।