Indo Pakistan War 1971 Anniversary Vijay Diwas: 53 साल पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की सैन्य ताकत का डंका बजा था। 16 दिसंबर 1971 को जीत मिली थी और तब से यह दिन विजय दिवस बन गया। युद्ध का हिस्सा रह चुके 78 वर्षीय रिटायर्ड एयर मार्शल हरीश मसंद ने युद्ध के कुछ संस्मरण पत्रिका से साझा किए।
14 दिसंबर को इंटेलिजेंस से वरिष्ठ अफसरों को सूचना मिली थी कि ढाका में गर्वनमेंट हाउस में गर्वनर मलिक व जनरल नियाजी बैठक कर रहे है। आदेश मिलने के बाद एक पल भी देरी नहीं की। सुबह करीब 11.37 बजे चार हंटर फाइटर प्लेन लेकर निकले। आगे दो प्लेन उड़ रहे थे, जिनमें से एक मैं उड़ा रहा था। उस समय हमारे पास ढाका का कोई मैप नहीं था, जिससे हमें गवर्नर हाउस का सटीक पता लग सके। मदद के लिए ढाका के बर्मा का शेल टूरिस्ट मैप था।
ढाका में भारी तूफान था और मुझे अच्छी तरह याद है कि कैसे हम 6000 फीट की ऊंचाई से बहुत तेजी से नीचे उतरे और अपने टी-10 रॉकेट और 30 मिमी तोप के गोले दागे। हमलों के बाद हम वापस आ गए और शानदार परिणाम मिले।
छोटे भाई को खोया, नहीं टूटा हौसला
रिटायर्ड एयर मार्शल हरीश मसंद ने बताया, 10 दिसंबर को शाम ढलने पर एक मिशन से सीओ विंग कमांडर सुह्रश्वपी ने कार्यालय में बुलाया। यहां उन्होंने खबर दी कि मेरे छोटे भाई लेफ्टिेनेंट जो कि 7 पैरा में पदस्थ थे, उन्हें 8 दिसंबर को जेसोर के आसपास कहीं गोली मार दी गई। जिससे वो शहीद हो गए। इसके बाद विंग कमांडर ने छुट्टी लेने की सलाह दी। मसंद बताते हैं, उन्होंने युद्ध में डटे रहने का फैसला लिया।
हमले के बाद गवर्नर ने दे दिया था इस्तीफा
14 दिसंबर 1971 को याद करते हुए एयर मार्शल मसंद ने बताया, ढाका में गर्वनमेंट हाउस पर हमारे हमले के बाद पाकिस्तानी अफसरों में खलबली मच गई। गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया। 15 दिसंबर को ढाका यूनिवर्सिटी पर हमला किया और 16 को दुश्मन ने सरेंडर कर दिया।