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धुएं बनते हैं कैंसर की वजह
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दिगपाल धारकर के मुताबिक, ‘कुछ धुएं कैंसर का कारण बन सकते हैं। इन्हें कार्सिनोजेनिक धुआं कहा जाता है, जिनमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। तंबाकू के धुएं से फेफड़ों, गले और अन्य प्रकार के कैंसर तो डीजल के धुएं से फेफड़े और मूत्राशय के कैंसर का खतरा होता है। रासायनिक धुएं में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो कैंसरकारी हो सकते हैं। कई मामलों में तो सालों बाद भी कैंसर का खतरा रहता है। लोगों को सुझाव दिया जाता हैै कि अगर वे कार्सिनोजेनिक धुएं के संपर्क में आते हैं तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।’ ये भी पढें -मौत बनकर आई डॉक्टर की कार, 6 लोगों को रौंदा, 2 ने तोड़ा दम
कचरे की राख जमीन में डंप करने से दुष्प्रभाव
डॉ. पीयूष जोशी(एमडी )के मुताबिक, ‘रासायनिक कचरे की राख को जमीन में डंप करने से दुष्प्रभाव की आशंका रहती है। राख को जमीन में डंप करने से भूमिगत जल के दूषित होने की पूरी आशंका रहती है। पीथमपुर से यशवंत सागर जुड़ा है, बेटमा इलाका भी लगा है, जहां तक प्रभाव हो सकता है। इस तरह का दूषित जल पीने से कैंसर का खतरा रहता है। साथ ही गर्भवती महिला संपर्क में आती है तो गर्भस्थ बच्चा प्रभावित हो सकता है और पैदा होने पर उसमें विकृति की आशंका रहती है। त्वचा रोग का भी खतरा रहता है।’ ये भी पढें -बड़ी खबर : भोपाल से बाहर आने-जाने वाली 50 प्रतिशत बसें बंद, बढ़ी यात्रियों की परेशानी