ऐसे में जानकारी सामने आई है कि जल्द ही सरकार खाद्य तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा करेगी। इससे किसानों की उपज के दाम बढ़ जाएंगे और सरकार के कंधों से समर्थन मूल्य पर खरीदी का बोझ कम हो जाएगा। लेकिन, सरकार के इस फैसले का असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा और लोगों को महंगा तेल खरीदना होगा।
यह भी पढ़ें- घर वाले बाहर निकले और भरभराकर गिर गया दो मंजिला मकान, Live Video 20 से 30 रुपए तक दाम बढ़ने की संभावना
देश में अपरिष्कृत खाद्य तेल विदेश से आयात करने पर फिलहाल 5 प्रतिशत ड्यूटी लग रही है। 2023 के पहले आयात पर कुल शुल्क 37-38 प्रतिशत था। आयात ड्यूटी बढ़कर फिर से 30 प्रतिशत के स्तर पर आती है तो खुदरा बाजार में सोयाबीन रिफाइंड के दामों में 20 से 30 रुपए तक बढ़ जाएंगे।
किसानों को जबर्दस्त फायदा-सरकारी अधिकारी
रिपोर्ट में सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि खाद्य तेलों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के सरकार के इस फैसले से किसानों को बहुत फायदा होगा, क्योंकि इससे उनकी कमाई में बढ़ोतरी होगी। यह भी पढ़ें- 6 अक्टूबर को भारत-बांग्लादेश के बीच टी-20 क्रिकेट मैच, स्टूडेंट्स को टिकट में मिल रहा भारी डिस्काउंट सरकार का भी फायदा
आयात-निर्यात से जुड़े कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार, आयात ड्यूटी बढ़ने से रिफाइंड सोया तेल यदि 140 रुपये किलो तक पहुंच गया तो बाजार में सोयाबीन के दाम खुद-ब-खुद 5000 रुपए क्विंटल के पार पहुंच जाएंगे। अभी दाम 4000 से 4500 रुपए क्विंटल है। सरकार ने किसानों की मांग पर समर्थन मूल्य 4892 रुपये क्विंटल की दर से सोयाबीन खरीद की घोषणा की है।
इस तरह सरकार के कांधे से खुद ब खुद हट जाएगा बोझ
खुले बाजार में दाम समर्थन मूल्य से ज्यादा हुए तो किसान खुद ही समर्थन मूल्य पर सरकारी बिक्री में रुचि नहीं लेंगे। ऐसे में सरकार के कंधों से खुद ही खरीद और किसानों को भुगतान का बोझ हट जाएगा। क्योंकि सोयाबीन का सरकार के लिए भी कोई उपयोग नहीं है। यह खाद्यान्न तो है नहीं जिसे सरकार पीडीएस में वितरित कर सके। आगे जाकर सरकार को भी तेल प्लांटों को ही अपना सोयाबीन बेचना पड़ेगा खाद्य तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा पीटीआई से मिली जानकारी के अनुसार फाइनेंस मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सरकार ने क्रूड और रिफाइन्ड सूरजमुखी तेल, पाम ऑयल और सोयाबिन ऑयल के लिए बेसिक कस्टम ड्यूटी को बढ़ाने का ऐलान किया है। इसे 20 फीसदी और 32.5 फीसदी तक कर दिया गया है।