इंदौर

गरीबों का निवाला छीनने वाला राशन माफिया : मंदिर की जमीन पर बना रखा था आलीशान ऑफिस, प्रशासन ने किया जमीदोज

भरत दवे ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर यहां एक आलीशान ऑफिस बना रखा था, जिसे बुधवार को निगम और पुलिस टीम ने कार्रवाई करते हुए जमीदोज कर दिया है।

इंदौरJan 20, 2021 / 04:27 pm

Faiz

गरीबों का निवाला छीनने वाला राशन माफिया : मंदिर की जमीन पर बना रखा था आलीशान ऑफिस, प्रशासन ने किया जमीदोज

इंदौर/ मध्य प्रदेश की आर्थिक नगरी इंदौर में लॉकडाउन के दौरान गरीबों का निवाला छीनने वाले राशन माफिया भरत दवे का एक और कारनामा सामने आया है। राशन घोटाले के साथ साथ उसने सरकारी गैर सरकारी ही नहीं बल्कि धार्मिक स्थलों की जमीनों पर भी कब्जा जमा रखा है। इसी तर्ज पर सामने आया कि, भरत ने मंदिर मोती तबेला में श्री अंगद हनुमान की जमीन पर कब्जा जमा रखा है। यही नहीं भरत ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर यहां एक आलीशान ऑफिस बना रखा था, जिसे बुधवार की दोपहर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए जमीदोज कर दिया है।

 

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एसआईटी करेगी मामले की जांच

राशन घोटाले का खुलासा होने के बाद से ही शुरु हुई जांच में भरत दवे द्वारा कई चौंकाने वाले खुलासे भी हो रहे हैं इन्हीं में से एक खुलासा ये भी हुआ कि, आरोपी ने मंदिर की जमीन पर भी अवैध कब्जा जमा रखा है, जिसपर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है। टीम द्वारा ऑफिस को जमीदोज करने से पहले यहां की भी पूरी तरह से जांच की, साथ ही जरूरी सामान जिनमें लैपटॉप, कंप्यूटर समेत अन्य दस्तावेज जब्त किये हैं। साथ ही जमीन को मंदिर ट्र्स्ट को वापस सौंप दिया। साथ ही, टीम को उम्मीद है कि, जब्त किये गए सामान के जरिये भी भरत दवे के अन्य काले जाले के बारे में खुलासे होंगे। वहीं, भरत, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुड़े पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। साथ ही, प्रभारी फूड कंट्रोलर आरसी मीणा पर 10 थानों में केस दर्ज कराया गया है। मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है।


भरत दवे के परिचितों का हंगामा

कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा घोटाले का खुलासा करने के दौरान कलेक्टोरेट के पीछे श्याम दवे के परिजन ने घर से नेम प्लेट हटा दी थी। वहीं, कलेक्टोरेट के मुख्य द्वार के सामने 50 कदम पर स्टाम्प और पंजीयन का दफ्तर चलाने वाले भरत दवे की भी दुकान बंद हो गई, स्टाफ रवाना हो गया। बुधवार को जब टीम दुकान हटाने पहुंची, तो दवे से जुड़े कुछ परिचितों ने कार्रवाई का विरोध करते हुए हंगामा किया। इसके बाद निगम अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह ने मोर्चा संभालते हुए पुलिस को निर्देश दिये कि, हंगामा कर्ताओं को मौके से दूर किया जाए। इसके बाद ही आगामी कार्रवाई की जा सकी।


जानिये क्या है मामला

कलेक्टर मनीष सिंह खुद राशन घोटाले की जांच कर रहे हैं, इस दौरान 19 जनवरी को उन्होंने खुलासा किया कि, कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान गरीबों को अनाज की समस्या न रहे, इसलिए केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा विविध योजनाओं के तहत दोगुना अनाज भेजा था, लेकिन राशन माफियाओं ने न सिर्फ 12 दुकानों में ही 79 लाख रुपए के ढाई लाख किलो अनाज में गबन कर दिया, जो जिले के 51 हजार गरीबों को वितरित होना था। वहीं, अनाज वितरण के जिम्मेदार जिला फूड कंट्रोलर आरसी मीणा भी इस राशन घोटाले में लिप्त सिद्ध हुए थे।


31 लोगों के खिलाफ एफआईआर

कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक, घोटाले में लिप्त भरत दवे, उनके रिश्तेदार श्याम दवे और प्रमोद दही गुड़े तीनों पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, फूड कंट्रोलर मीणा के साथ ही विविध संस्थाओं के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को मिलाकर कुल 31 लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई है। इसमें दवे के परिवार के ही कई लोग शामिल हैं, कलेक्टर के मुताबिक, घोटाले की जांच पुलिस और प्रशासन करेगा। इसमें जिस-जिस की गंभीर लापवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई होगी। सभी आरोपियों की संपत्ति की भी जांच होगी।


हो सकता है महा घोटाला

अब तक हुई प्रशासनिक जांच में सामने आया कि, दवे के परिवार में करीब 20 लोग इस खेल में शामिल हो सकते हैं। साथ ही, जिलेभर में उनके प्रभाव वाली 120 दुकानें हैं। प्रशासन का अनुमान है कि, जिले में यह घोटाला 20 लाख किलो से ज्यादा का और सात करोड़ रुपए से भी अधिक का हो सकता है।

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