यह कहना जगद्गुरु द्वाराचार्य राजेंद्रदास देवाचार्य का है। वे अयोध्या की तर्ज पर बने राममंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में खेल प्रशाल में शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन बोल रहे थे। इसके पूर्व खातीपुरा मंदिर से विशाल कलश यात्रा निकाली गई। इसमें 3 हजार से ज्यादा महिलाएं सिर पर कलश लेकर निकली। यात्रा मार्ग जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान देशभर से साधु-संत शामिल हुए। पीठाधीश्वर रामगोपालदास ने बताया कि प्राचीन श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की शुरुआत शनिवार से हुई। गणेश मंडल जेल रोड मंदिर पर वेद मंत्रों के बीच पूजन अर्चन के साथ यात्रा शुरू हुई। भजन गायक गन्नू महाराज के राम नाम के भजनों पर महिलाएं नाचते गाते चल रही थी। इस दौरान स्वामी माधवाचार्य शामिल हुए। गौरतलब है कि 350 वर्ष पूर्व अयोध्या से संत श्रीराम भरोसेदास इंदौर आए थे। वे अपने साथ अयोध्या से रामलला की मुर्ति लाए थे और यहां विराजित किए थे। अब ये मंदिर अयोध्या की तर्ज पर नया बनाया गया है।
आदिवासी नृत्य, अखाड़े के कलाकारों की प्रस्तुति यात्रा में ढोल, तासे, बैण्ड-बाजे, शंखनाद व जयघोष करते युवाओं का दल शामिल हुआ। आदिवासियों का दल नृत्य की प्रस्तुति देते चल रहे थे। गोमती देवी व्यायामशाला के उस्ताद अपनी कलाबाजी का प्रदर्शन करते हुए चल रहे थे। खातीपुरा श्री राम मंदिर की प्रतिकृति की झांकी भी चल रही थी। यात्रा का जगह-जगह विभिन्न मंचों से स्वागत किया गया। श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 2 फरवरी तक प्रतिदिन चलेगा। खेल प्रशाल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से 7 बजे तक होगी।