अयोध्या के कनक भवन का पौराणिक महत्व मंदाकिनी दीदी ने बताया है। वे श्रीराम कथा के लिए इंदौर आई हैं। मंदाकिनी दीदी अयोध्या के रामायणम् आश्रम की अध्यक्ष हैं। वे कनक भवन से भी जुड़ी हैं। वे कहती हैं कि अयोध्या की हर गली, हर घर में राम हैं। राम मंदिर से कुछ ही दूरी पर कनक भवन है। माता कैकयी ने स्वर्ण और हीरे जडि़त भवन का निर्माण करवाया था। ये भवन राम से विवाह के बाद सीता को मुंह दिखाई के तौर पर दिया था। इस भवन को भगवान राम का निज निवास माना जाता है। मुगल आक्रमण के बाद भवन नष्ट हो गया। कई बार इसका निर्माण किया गया।
दुल्हा-दुल्हन राम-सीता, मिथला के जंवाई बाबू
मंदाकिनी दीदी ने बताया, भवन में श्रीराम और माता सीता विराजित हैं। यहां के लोग नहीं मानते कि भगवान को वनवास हुआ था। यहां पर सदैव श्रीराम-सीता को दूल्हा-दुल्हन के रूप में पूजा जाता है। वर्तमान भवन 150 साल पुराना है। उन्होंने कहा, जिस भूमि पर भगवान के चरण पड़े वो चैतन्य होती है। मिथला से बड़ी संख्या में लोग कनक भवन आते हैं। वो भगवान को जंवाई बाबू संबोधित करते हुए अराधना करते हैं।
श्रीराम भगवान पढ़तेे हैं पत्र
मंदाकिनी दीदी बताती हैं कि देशभर से लोग कनक भवन अयोध्या उत्तरप्रदेश के पते पर अपनी मनोकामना के पत्र भेजते हैं। ऐसा माना जाता है कि अपनी बात इस खत के जरिए श्रीराम तक पहुंचती है। मान्यता है कि भगवान राम पत्र पढ़ते हैं। मंदाकिनी दीदी ने बताया, जितने भी खत इस पते पर आते हैं, उन्हें ठाकुरजी के सामने रख दिया जाता है। उन्होंने कहा, अयोध्या के कण-कण में भगवान राम बसे हैं। जब उनके मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हो रही है तो देश-दुनिया में उत्सवी माहौल होना चाहिए।
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