इंदौर . पीडब्ल्यूडी में भ्रष्टाचार की जड़ें किस तरह फैली हैं, इसका खुलासा अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई से हो रहा है, पर विभाग के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। गत अक्टूबर में बिल्डर एसो. ऑफ इंडिया इंदौर सेंटर के चेयरमैन अरुण जैन ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव (पीएस) प्रमोद अग्रवाल से की शिकायत में कहा था कि पीडब्ल्यूडी ऑफिस में भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं। वे यदि सत्यता जांचना चाहते हैं, तो एसी ऑफिस के रिकॉर्ड में अटकी फाइलें देख लें। एसो. ने सुझाव भी दिए थे, पर ध्यान नहीं दिया गया। पीडब्ल्यूडी में जनसुनवाई करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं लेता है। ये भ्रष्टाचारी हुए उजागर कार्यपालन यंत्री (ईई) ब्रजेन्द्रकुमार माथुर : माथुर के खिलाफ गत 8 मार्च को लोकायुक्त ने सड़क घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की थी। देपालपुर के गंगाजल खेड़ी से चिमनखेड़ी गांव के बीच 7.70 किमी की सड़क में दो ठेकेदारों का पेमेंट रोका और तीसरे ठेकेदार को ज्यादा राशि में टेंडर भरवाकर काम सौंप दिया। ठेकेदार राकेशकुमार सांवला ने अधिकारियों की बात की रिकार्डिंग और वीडियो बनाकर स्टिंग भी किया था। इससे पहले लोकायुक्त ने गत 29 जनवरी को रेसीडेंसी इलाके में माथुर को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा था। वह ठेकेदार ब्रजेश सोनी को सड़क की डीपीआर बनाने के भुगतान के लिए 50 हजार की रिश्वत मांग रहा था। पकड़े जाने के एक माह बाद माथुर का तबादला सागर कर दिया और विभागीय जांच की बात कहकर सस्पेंड होने से बचा लिया गया। मानचित्रकार रजनीकांत केसरी : गत 18 अप्रैल को लोकायुक्त पुलिस ने केसरी को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। वह ट्रेजर आईलैंड मॉल में बनाए जा रहे विक्टोरिया रेस्टोरेंट का सत्यापन करने के एवज में संचालक इंदर प्रजापत से 50 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रहा था। टाइम कीपर कृपाल सिंह : अधिकारियों के साथ विभाग के कर्मचारी भी भ्रष्टाचार कर मोटी कमाई करने में पीछे नहीं हैं। दो साल पहले लोकायुक्त ने टाइम कीपर कृपाल सिंह के तिलक नगर स्थित घर पर दबिश दी, तो 14 मकान, 20 एकड़ जमीन सहित कुल 12 करोड़ रुपए की संपत्ति का खुलासा हुआ था।