2003 में अरविंद मेनन ने इंदौर के संगठन मंत्री के रूप में मध्यप्रदेश में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। देखते ही देखते वे कुछ ही समय में संभाग के संगठन मंत्री बन गए। प्रदेश में मजबूत पकड़ बनाने की महत्वकांक्षा के चलते मेनन ने एक दर्जन से अधिक संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की थी। उनमें से एक प्रदीप जोशी भी हैं।
मेनन ने अपने खास संगठन मंत्री को समय से पहले पदोन्नत करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि अपना खास होने की वजह से उनकी सारी गलतियों को भी वे माफ कर देते थे। जोशी को पहले उज्जैन जिले का संगठन मंत्री बनाया गया था, लेकिन मेनन का वरदहस्त होने की वजह से वे संभाग के अन्य जिलों में भी हस्तक्षेप करते थे। इसको लेकर शिकायतें भी हुई थीं, लेकिन मेनन ने जोशी से नाराज नेताओं को ही किनारे कर दिया था।
कुछ ही समय में प्रमोशन करते हुए जोशी को ग्वालियर संभाग का संगठन मंत्री बना दिया गया। जहां पर उन पर विधानसभा चुनाव में टिकटों के विवाद भी खड़े हुए, तो दबी जुबान में गड़बड़ी के आरोप भी लगे। मेनन के रहते उन सब बातों को नजरअंदाज कर दिया गया।
हालांकि जब मेनन की रवानगी प्रदेश से हुई तो जोशी को तुरत-फुरत उज्जैन का संगठन मंत्री बनाकर भेज दिया गया। इस विधानसभा चुनाव में भी उज्जैन संभाग ने इंदौर से ज्यादा प्रदर्शन किया। २७ में से १७ सीट भाजपा जीती थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने वाले नेताओं ने जोशी पर नाराजगी भी जाहिर की थी।
संघ से की थी बगावत
२००० के दौर में अनिल डागा संघ के विभाग प्रचारक थे। ये कहा जा सकता है कि जितना बड़ा आज संघ का मालवा प्रांत है, उस समय विभाग हुआ करता था। उस दौरान हर्ष चौहान विभाग के कार्रवाह थे, तो मुकेश जैन नगर कार्रवाह। डागा की कार्यशैली से नाराज होकर जोशी ने संघ से बगावत करते हुए अलग से शाखा लगाना शुरू कर दी थी। मौजूदा जवाबदारों की नागपुर तक शिकायत भी की थी। डागा के हटने के बाद जोशी का मेनन के माध्यम से भाजपा में पदार्पण हो गया।
२००० के दौर में अनिल डागा संघ के विभाग प्रचारक थे। ये कहा जा सकता है कि जितना बड़ा आज संघ का मालवा प्रांत है, उस समय विभाग हुआ करता था। उस दौरान हर्ष चौहान विभाग के कार्रवाह थे, तो मुकेश जैन नगर कार्रवाह। डागा की कार्यशैली से नाराज होकर जोशी ने संघ से बगावत करते हुए अलग से शाखा लगाना शुरू कर दी थी। मौजूदा जवाबदारों की नागपुर तक शिकायत भी की थी। डागा के हटने के बाद जोशी का मेनन के माध्यम से भाजपा में पदार्पण हो गया।
पुरानी बोतलों का था कारोबार
गौरतलब है कि संगठन मंत्री बनने से पहले जोशी का एक भाजपा नेता की साझेदारी में पुरानी प्लास्टिक की बोतलों को धोने और नए सिरे से तैयार करने का कामकाज था। बाद में साझेदारी खत्म होने की चर्चा भी सामने आई, लेकिन दोनों के संबंध मजबूत हैं। बताते हैं कि जोशी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्हें पार्टी में बड़ा पद भी दिलाया था।
गौरतलब है कि संगठन मंत्री बनने से पहले जोशी का एक भाजपा नेता की साझेदारी में पुरानी प्लास्टिक की बोतलों को धोने और नए सिरे से तैयार करने का कामकाज था। बाद में साझेदारी खत्म होने की चर्चा भी सामने आई, लेकिन दोनों के संबंध मजबूत हैं। बताते हैं कि जोशी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्हें पार्टी में बड़ा पद भी दिलाया था।