इंदौर

पितृ पक्ष में यहां नि:शुल्क तर्पण अनुष्ठान, जानें श्राद्ध पक्ष की 16 तिथियां और उनका महत्व भी

यहां जानें कहां किया जाएगा नि:शुल्क तर्पण, साथ ही श्राद्ध की 16 तिथियां और उनका महत्व भी…

इंदौरSep 25, 2023 / 02:05 pm

Sanjana Kumar

KGMU LUCKNOW

29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहे हैं। श्राद्ध पक्ष के इन दिनों में पितृ का तर्पण, पिंड दान और श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में सनातन धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हर साल इन दिनों में तर्पण, पिंड दान और श्राद्ध का आयोजन करते हैं। इसी के मद्देनजर इंदौर की श्रद्धा सुमन सेवा समिति इस वर्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक श्राद्ध के इन 16 दिनों के दौरान नि:शुल्क तर्पण अनुष्ठान का आयोजन कर रही है। यहां जानें कहां किया जाएगा नि:शुल्क तर्पण, साथ ही श्राद्ध की 16 तिथियां और उनका महत्व भी…

आपको बता दें कि समिति की ओर से यह तर्पण संस्कार पिछले 24 वर्ष से निभाती आ रही है। समिति की ओर से इस बार यह संस्कार एयरपोर्ट रोड पीलिया खाल स्थित हंसदास मठ पर किया जाएगा। इस दौरान 7 से 13 अक्टूबर तक पितृ मोक्षदायी भागवत का आयोजन किया जाएगा। समिति के संस्थापक अध्यक्ष मोहनलाल सोनी, संयोजक हरि अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग ने बताया कि 29 सितम्बर को सुबह श्राद्ध पक्ष की पहली तिथि पर तर्पण का शुभारंभ संतों के सान्निध्य में किया जाएगा।

 

पितृ पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक होता है। पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म आदि किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने से पितृ दोष दूर होता है। परिवार में सुख, शांति, खुशहाली और उन्नति होती है।

इन दिवंगतों को भी किया जाएगा तर्पण

पितृ मोक्षदायी भागवत 7 से 13 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। तर्पण के अलावा प्रतिदिन होलकर राज्य के शासकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, देश के लिए शहीद होने वाले जवानों और अन्य ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों के प्रति तर्पण संस्कार संपन्न किया जाएगा।

कथा का आयोजन भी

इस दौरान भागवताचार्य पं. पवन तिवारी के मुखारविंद से कथा कही जाएगी। हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य और पं. पवनदास महाराज के मार्गदर्शन में इस अवसर पर प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक नि:शुल्क तर्पण भी किया जाएगा।

ये हैं पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

– 29 सितंबर 2023 शुक्रवार पूर्णिमा श्राद्ध

– 29 सितंबर 2023 शुक्रवार प्रतिपदा श्राद्ध

– 30 सितंबर 2023 शनिवार द्वितीया श्राद्ध

– 01 अक्टूबर 2023 रविवार तृतीया श्राद्ध
– 02 अक्टूबर 2023 सोमवार चतुर्थी श्राद्ध

– 03 अक्टूबर 2023 मंगलवार पंचमी श्राद्ध

– 04 अक्टूबर 2023 बुधवार षष्ठी श्राद्ध

– 05 अक्टूबर 2023 गुरुवार सप्तमी श्राद्ध

– 06 अक्टूबर 2023 शुक्रवार अष्टमी श्राद्ध
– 07 अक्टूबर 2023 शनिवार नवमी श्राद्ध

– 08 अक्टूबर 2023 रविवार दशमी श्राद्ध

– 09 अक्टूबर 2023 सोमवार एकादशी श्राद्ध

– 11 अक्टूबर 2023 बुधवार द्वादशी श्राद्ध

– 12 अक्टूबर 2023 गुरुवार त्रयोदशी श्राद्ध
– 13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार चतुर्दशी श्राद्ध

– 14 अक्टूबर 2023 शनिवार सर्व पितृ अमावस्या

पितृ तर्पण के नियम

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि पितृ तर्पण करते समय निश्चित नियमों का पालन करना जरूरी है। विधिवत आहुति देना, शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करना और तपस्या और दान करना चाहिए। पितृ पक्ष में दान करना भी महत्वपूर्ण है। आप अपने पूर्वजों के नाम पर अन्न, वस्त्र, धन, यात्रा या किसी अन्य चीज का दान कर सकते हैं।

किस तिथि में किन पितरों का करें श्राद्ध

* पूर्णिमा तिथि -29 सितंबर 2023
ऐसे पूर्जव जो पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

* पहला श्राद्ध – 30 सितंबर 2023
जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन हुई हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि को किया जाता है। इसके साथ ही प्रतिपदा श्राद्ध पर ननिहाल के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो या उनके मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो भी आप श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में उनका श्राद्ध कर सकते हैं।

* द्वितीय श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023
जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

* तीसरा श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023
जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को करने का विधान है. इसे महाभरणी भी कहा जाता है।

* चौथा श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023
शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि को किया जाता है।

* पांचवा श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023
ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है। यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है।

* छठा श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023
किसी भी माह के षष्ठी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है।

* सातवां श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए।

* आठवां श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023
ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है।

* नवमी श्राद्ध-8 अक्टूबर 2023
माता की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध न करके नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। वहीं जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है।

* दशमी श्राद्ध -9 अक्टूबर 2023
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है।

* एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023
ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है।

* द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर 2023
जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए। चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो. इसलिए तिथि को संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है।

* त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023
श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

* चतुर्दशी तिथि – 13 अक्टूबर 2023
ऐसे लोग जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे आग से जलने, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घना से या जल में डूबने से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए।

* अमावस्या तिथि – 14 अक्टूबर 2023
पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है।

श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

– हर व्यक्ति को अपने पूर्व की तीन पीढ़ियों (पिता, दादा, परदादा) और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।
जो लोग पूर्वजों की संपत्ति का उपभोग करते हैं और उनका श्राद्ध नहीं करते, ऐसे लोगों को पितरों द्वारा शप्त होकर कई दुखों का सामना करना पड़ता है।
– यदि किसी माता-पिता के अनेक पुत्र हों और संयुक्त रूप से रहते हों तो सबसे बड़े पुत्र को हू पितृकर्म करना चाहिए।
– पितृ पक्ष में दोपहर (12:30 से 01:00) तक श्राद्ध कर लेना चाहिए।

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