5 किलो से अधिक पर लेना होता था लाइसेंस मंडी अधिकारी की मानें तो साल 2000 से पहले पांच किलों से अधिक की सब्जी सहित अन्य उपज बेचने पर मंडी प्रशासन से खेरची लाइसेंस लेना होता था, लेकिन इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।
आढ़त से नहीं लेते – किसानों से आढ़त नहीं ली जाती है। किसानों से उपज खरीदकर खेरची व्यापारियों को बेची जाती है। खेरची व्यापारियों से कमीशन लिया जाता है। व्यापारी मंडी टैक्स, आढ़त और हम्माली भी देना होती है। इन्हीं कारणों से दाम बढ़ जाते है।
ओमप्रकाश गर्ग, अध्यक्ष आलू-प्याज मंडी
ओमप्रकाश गर्ग, अध्यक्ष आलू-प्याज मंडी
– भाव पर नियंत्रण नहीं-खेचरी बाजार में भाव पर नियंत्रण नहीं है। भाव से संबंध में व्यापारी ही सहीं जानकारी दे सकते हैं। हालाकि प्रशासन की पूरी नजर है, किसान से लेकर आमजन को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
कैलाश वानखेडे़, अपर कलेक्टर
कैलाश वानखेडे़, अपर कलेक्टर