इंदौर. रमजान का महीना समाप्त होने के बाद बासमती चावल में खाड़ी देशो मांग बनी रहने से पुराना बासमती चावल की कीमतों में तेजी आई है। चावल कारोबारी दयालदास गंगवानी ने बताया कि इस समय पुराने चावल में अच्छी खरीदी निकलने से कीमतें तेज रहे। नया चावल सितंबर से अक्टूबर के बीच आएगा, जिससे दाम मानसून पर निर्भर होगे। मौसम विभाग के अनुसार चालू सप्ताह के आखिर तक मानसून फिर रफ्तार पकड़ेगा। इसलिए बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में आगे मंदा ही आने का अनुमान है। घरेलू बाजर में इस समय ग्राहकी कम है, लेकिन केंद्रों पर तेजी-मंदी का असर यहां भी शीघ्र देखा जा सकता है। इस समय बाजार में बासमती (921) 9000 से 9500, तिबार 7000 से 7500 , दुबार 6500 से 7000, मीनी दुबार 5500 से 6000, मोगरा 3500 से 5000, दुबराज 4000, कालीमूंछ 6000, राजभोग 5000, परमल 2500 से 2700, हंसा सेला 2600 से 2700, हंसा सफेद 2300 से 2400 रुपए क्विंटल बिक रहा है। चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के अनुसार रमजान के बाद बासमती चावल की निर्यात मांग में थोड़ा सुधार आया है, जिससे इनके भाव बढ़े हैं। बासमती चावल के नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे है जबकि मानसून की रफ्तार धीमी होने का असर भी धान और चावल की कीमतों पर पड़ा है, ऐसे में आगे जैसे ही मानसून गति पकड़ेगा, इनकी कीमतों में फिर गिरावट आने का अनुमान है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में बासमती चावल का बकाया स्टॉक अच्छा है। अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात घटा एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल महीने में बासमती चावल का निर्यात घटकर 370183 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल महीने में इसका निर्यात 389542 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2017-19 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40.51 लाख टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 39.85 लाख टन से ज्यादा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के अप्रैल में बढ़ा है। इस दौरान 2,690 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल में केवल 2,420 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था। पिछले वर्ष निर्यात में हुई बढ़ोतरी एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40.51 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में इसका निर्यात 38.85 लाख टन का ही हुआ था।