सरकार ने संपदा 2.0 सॉटवेयर तैयार किया है जिस पर दस्तावेज बनाना शुरू हो गया। धीरे-धीरे सभी रजिस्ट्री नए सॉटवेयर में हो, उस रणनीति पर काम चल रहा है। इसमें कई दिक्कतें सामने आई हैं। इस संबंध में शुक्रवार को इंदौर की चार प्रॉपर्टी ब्रोकर एसोसिएशन ने स्टांप डीआइजी को ज्ञापन दिया।
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स्टांप डीआइजी बालकृष्ण मोरे से मिलने के लिए इंदौर रियल स्टेट, प्रापर्टी ब्रोकर एसो., इंदौर प्रापर्टी ब्रोकर एसोसिएशन के पदाधिकारी पहुंचे थे। इसमें राजेश जैन, पीयूष वाजपेयी, अशोक शर्मा व अजय व्यास प्रमुख रूप से मौजूद थे। उन्होंने बताया, संपदा 2.0 में रजिस्ट्री कराने पर संपत्ति की लोकेशन कई बार गलत सामने आ रही है, ऐसे में भविष्य में विवाद होने की संभावनाएं हैं। बताने को घर बैठे रजिस्ट्री हो रही है, लेकिन ऑनलाइन में भी इंतजार करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या बैंक लोन में आ रही है। बैंक वाले बगैर सील और साइन की रजिस्ट्री को मान्य नहीं कर रहे हैं। मोरे ने ज्ञापन लेने के साथ समस्याओं को नोट कर मुख्यालय तक बात पहुंचाने का आश्वासन दिया।
स्टांप डीआइजी बालकृष्ण मोरे से मिलने के लिए इंदौर रियल स्टेट, प्रापर्टी ब्रोकर एसो., इंदौर प्रापर्टी ब्रोकर एसोसिएशन के पदाधिकारी पहुंचे थे। इसमें राजेश जैन, पीयूष वाजपेयी, अशोक शर्मा व अजय व्यास प्रमुख रूप से मौजूद थे। उन्होंने बताया, संपदा 2.0 में रजिस्ट्री कराने पर संपत्ति की लोकेशन कई बार गलत सामने आ रही है, ऐसे में भविष्य में विवाद होने की संभावनाएं हैं। बताने को घर बैठे रजिस्ट्री हो रही है, लेकिन ऑनलाइन में भी इंतजार करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या बैंक लोन में आ रही है। बैंक वाले बगैर सील और साइन की रजिस्ट्री को मान्य नहीं कर रहे हैं। मोरे ने ज्ञापन लेने के साथ समस्याओं को नोट कर मुख्यालय तक बात पहुंचाने का आश्वासन दिया।
विभाग को दिए महत्वपूर्ण सुझाव
प्रॉपर्टी ब्रोकर एसो. के सदस्यों ने ऑनलाइन रजिस्ट्री की खामियां भी बताई। उनका कहना था कि असामाजिक तत्व दबाव बनाकर व्यक्ति से रजिस्ट्री करा लें तो उसे कैसे रोका जा सकता है। वैसे भी इंदौर में जमीन की जालसाजी के आए दिन केस सामने आते हैं। पदाधिकारियों ने सुझाव देते हुए कहा, रजिस्ट्री करने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों का बैठना अनिवार्य किया जाए। वहीं, दस्तावेजों को सरकारी कागज में प्रिंट दी जाए तो प्रमाणिकता के लिए सील व साइन भी की जाए।
प्रॉपर्टी ब्रोकर एसो. के सदस्यों ने ऑनलाइन रजिस्ट्री की खामियां भी बताई। उनका कहना था कि असामाजिक तत्व दबाव बनाकर व्यक्ति से रजिस्ट्री करा लें तो उसे कैसे रोका जा सकता है। वैसे भी इंदौर में जमीन की जालसाजी के आए दिन केस सामने आते हैं। पदाधिकारियों ने सुझाव देते हुए कहा, रजिस्ट्री करने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों का बैठना अनिवार्य किया जाए। वहीं, दस्तावेजों को सरकारी कागज में प्रिंट दी जाए तो प्रमाणिकता के लिए सील व साइन भी की जाए।