इंदौर

कोरोना के नाजुक हालात में सैलरी न मिलने से नाराज़ एमवाय अस्पताल के चिकित्सक, मरीजों का इलाज बंद कर शुरु की हड़ताल

कोरोना काल में इंदौर पर आया एक और संकट। जानिये इस संकट के बारे में सबकुछ…।

इंदौरMay 06, 2021 / 02:34 pm

Faiz

कोरोना के नाजुक हालात में सैलरी न मिलने से नाराज़ एमवाय अस्पताल के चिकित्सक, मरीजों का इलाज बंद कर शुरु की हड़ताल

इंदौर/ एक तरफ तो इंदौर में कोरोना के हालात बेकाबू हैं। लगातार बढ़ रही संक्रमतों की सैंकड़ो की संख्या के चलते शहर के अस्पतालों में वैसे ही इलाज का अभाव है। ऐसे हालात में सैलरी न मिल पाने से नाराज मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक इंदौर एमवाय अस्पताल के जूनियर डाॅक्टरों ने गुरुवार को काम बंद करते हुए हड़ताल शुरु कर दी है। एमवाय के गेट पर लामबंद हुए डॉक्टरों ने अपनी अपनी तख्तियों पर कई स्लोगन लिख रखे हैं। उन्हीं में से एक पर लिखा था… NO SERVICE, NO JUSTICE यानी ‘न्याय बिना काम नहीं।’

 

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आश्वासन के बाद सैलरी न बढ़ने से नाराज़

जिला अस्पताल के जूनियर डाॅक्टर सैलरी समेत अन्य मांगाें को लेकर नाराज हो गए, जिसके चलते संकट क इस घड़ी में वो अपनी इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदरी को छोड़कर हड़ताल पर चले गए हैं। जूडा का कहना है कि, ‘पूरे कोरोना काल में उन्होंने ड्यूटी दी है। शुरुआत में उन्हें कहा गया था कि, कोविड ड्यूटी करने पर उनकी सैलरी में 10 हजार रुपए और बढ़ा दिए जाएंगे। लेकिन वो रुपए तो नहीं मिले, ऊपर से तीन महीने की बेसिक सैलरी तक नहीं दी गई। बता दें कि, इससे पहले भी मार्च और अप्रैल महीने में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर जा चुके हैं, बावजूद इसके शासन-प्रशासन है कि, उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है।

 

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कोरोना वाॅरियर बोलकर सम्मान दिला दिया बस, सैलरी का पता नहीं

इंदौर जिले के जूडा अध्यक्ष डॉ. प्रखर चौधरी के मुताबिक, जूनियर डॉक्टरों को मजबूरी में यहां आना पड़ा है। हम पिछले एक साल से कोविड काल में काम कर रहे हैं। अभी भी कोरोना संक्रमण फैल रहा है, ऐसे में हम अपनी सेवाएं देते रहेंगे। हमारी दिक्कत ये है कि, शुरुआत में कोरोना वाॅरियर बोलकर हमारा ताली और थाली से सम्मान किया गया, कहा गया कि, आपके वेतन में 10 हजार रुपए प्रतिमाह बढ़ाेतरी की जाएगी। लेकिन, क्या वो सब मात्र लोगों को लुभाने मात्र के लिये एक स्लोगन था?

3 महीने से नहीं मिली बेसिक सैलरी

डॉ. प्रखर चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘इस अवधि उनकी सैलरी में 10 हजार बढ़ाने की बात तो दूर है, पिछले तीन महीनों से जूडा को बेसिक वेतन ही नहीं दिया गया है। हमारे द्वारा सरकार को दिए गए प्रस्ताव के बाद भी पिछले एक साल से हमारी कोरोना में ड्यूटी लगाई जा रही है। जबकि, हमने पैरामेडिकल स्टॉफ, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी डॉक्टर जो सक्षम है, उनकी ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद भी उनकी भर्ती नहीं की गई। सारे काम हम से ही करवाए जा रह हैं।’

 

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मांगे न मानीं, तो करेंगे आंदोलन

पिछले एक साल से ही हम अस्पताल प्रबंधन से हमारी ड्यूटी कम करने की मांग करते आ रहे हैं, ताकि हम उन मरीजों की भी सहायता कर सकें, जो कोविड पेशेंट नहीं हैं। उन्हें बेहतर इलाज मिल सके। जूनियर डॉक्टरों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। यदि हमारी मांग नहीं मानी, तो भले ही संकट की घड़ी क्यों न हो, हम आंदोलन आगे तक ले जाएंगे। हालांकि हम इस प्रकार से आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे, जिससे मरीजों को परेशानी न हो।

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