नाटक की शुरुआत नायक होरी के घर में गाय आने के बाद घर में खुशी के माहौल से होती है। कहानी आगे बढ़ती है और होरी की मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। होरी और उसकी जुझारू पत्नी धनिया लगातार संघर्ष करते हैं पर परिस्थितियों के आगे हार जाते हैं। थका हारा होरी अंत में मौत का शिकार बनता है। कहानी गांव में छुआछूत और जातिप्रथा के विषय भी हैं। ब्राह्मण के बेटे का नीची जाति की लडक़ी से विवाह करने पर हंगामा आदि के प्रसंग भी हैं।
फिल्मी गीतों का प्रयोग
निर्देशक संदीप दुबे ने हमेशा की तरह नाटक में फिल्मी गीतों का प्रयोग किया है। इसमें मदर इंडिया और गोदान पर इसी नाम से बनी फिल्म के पांच गीतों का उपयोग किया गया है। नाटक में होरी के कुछ संवादों पर तालियां बजीं जैसे होरी के बीमार होने पर कोई जब उसका हाल पूछता है तो वो कहता है, बीमार वो होते हैं जिन्हें बीमार होने की फुर्सत है। होरी की भूूमिका में संदीप दुबे और धनिया के रूप में भवानी कौल सहज रहंी। अन्य भूमिकाओं में थे ओम कुमार,निधि उपाध्याय, संजय पांडे, जनार्दन शर्मा, मिलिंद शर्मा आदि।