इंदौर

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला…’पति या पत्नी नौकरी करने के लिए एक-दूसरे को मजबूर नहीं कर सकते’

MP News: मध्यप्रदेश की इंदौर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि पति द्वारा पत्नी को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना क्रूरता की श्रेणी में आता है।

इंदौरNov 15, 2024 / 08:15 pm

Himanshu Singh

MP News: मध्यप्रदेश की इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट के द्वारा कहा गया है कि पति द्वारा पत्नी को नौकरी छोड़ने और उसे पति के मर्जी के हिसाब से रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था में प्रंबधक के रूप में इंदौर में कार्यरत महिला ने आवेदन दिया था कि पति उसे नौकरी छोड़कर भोपाल में साथ रहने के लिए मानसिक तौर पर परेशान कर रहा है।
फैमिली कोर्ट ने महिला की अर्जी खारिज कर दी थी। जिसके बाद महिला ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की बेंच ने कई कानूनी पहलुओं पर विचार करते निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और महिला की तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया।

इंदौर बेंच ने सुनाया फैसला


हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 13 नवंबर को सुनाए हुए फैसले में कहा है कि पति या पत्नी एक साथ रहना चाहते हैं या नहीं, ये उनकी इच्छा है। “पति या पत्नी में से कोई भी दूसरे पक्ष को नौकरी नहीं करने या जीवनसाथी की पसंद के अनुसार नौकरी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।” साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पति ने पत्नी पर दबाव डाला कि वह अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दें।
इधर, कोर्ट ने ये भी कहा है कि पत्नी को नौकरी छोड़ने और उसे पति की इच्छा के अनुसार रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता की श्रेणी में आता है।

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