२०१३ के चुनाव में जिले की नौ विधानसभा में कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक ही सीट गई थी, वह भी राऊ की। इस पर जीतू पटवारी ने परचम लहराया था। पटवारी के सामने इस बार भाजपा ने अपने अनुभवी नेता मधु वर्मा को मैदान में उतारा था, जो ३५ साल से सक्रिय राजनीति में हैं।
यहां बंपर वोटिंग के बाद भाजपा व कांग्रेस के सारे समीकरण गड़बड़ा गए हंै। पटवारी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं और सट्टा बाजार भी यही कह रहा है। सटोरियों ने पटवारी का भाव ४० पैसे लगा रखा है, यानी जीत का कोई संकट नहीं है। ये बात भाजपाइयों को हजम नहीं हो रही। प्रमुख नेताओं ने कल दिनभर बूथवार समीक्षा की, जिसमें जीत का समीकरण निकाला।
उनके हिसाब से अन्नपूर्णा, राजेंद्र नगर, इंद्रपुरी, लिंबोदी और बिचौली हप्सी वाले वार्ड के अलावा राऊ नगर परिषद भी वे जीत रहे हैं तो बिजलपुर के वार्ड में उनकी हार होगी। अहीरखेड़ी व पालदा वाले वार्ड में ज्यादा नफा-नुकसान नहीं होगा। वे सबसे बड़ा गड्ढा बांक, पिपलदा व रंगवासा पंचायत को मान रहे हैं। उनका मानना अन्य पंचायतों में हार-जीत का अंतर कम रहेगा। कहीं पर वे हारेंगे तो कहीं पर जीत भी होगी, जो उसे बराबर कर देगी।
किस करवट बैठेगा ऊंट
कहते हैं कि राजनीति का ऊंट किस करवट बैठ जाए, कहा नहीं जा सकता। ठीक वैसा ही हाल राऊ विधानसभा के ग्रामीण इलाकों का है। गांव में वोटिंग को लेकर खासा उत्साह था। ये साफ नहीं हो पा रहा है कि ये किसके पक्ष में जाकर गिरेगा। इस बार टेबलों पर भी भीड़ नहीं थी, क्योंकि निर्वाचन ने घर घर मतदाता पर्ची बांट दी थी। हालांकि भाजपाइयों को भरोसा है कि संबल व भावांतर योजना का फायदा मिलेगा।