जो पुस्तकालय खंडहर हो चुका था, जहां पढऩे के लिए बच्चे नहीं आया करते थे। वहां पिछले कुछ महीनों में हजारों बच्चों ने मेंबरशीप ले ली। वजह है पुस्तकालय का बदला हुआ माहौल और मात्र एक रुपए में मिलने वाली पुस्तकालय की मेंबरशिप। पहले इस पुस्तकालय में किसी को भी सदस्या लेने के लिए एक हजार रुपए देने होते थे, लेकिन शासकीय केंद्रीय पुस्तकालय प्रमुख लीली डावर के प्रयासों से पुस्तकालय की काया तो पलटी ही साथ ही उन्होंने बच्चों के हित के लिए एक हजार रुपए में मिलने वाली मेंबरशिप का शुल्क 500 रुपए किया। बाद में बच्चों की जरूरतों और मांगों को देखते हुए पुस्तकालय की मेंबरशीप मात्र एक रुपए कर दी गई। मेंबरशीप शुल्क कम होने से बच्चों की सदस्यता में भी वृद्धि हुई। 19 नवंबर 1961 में शुरू हुई पुस्तकालय में 61 वर्ष बाद 19 नवंबर 2022 तक सिर्फ 8634 ही बच्चों ने मेंबरशीप ली थी। जबकि 20 नवंबर 2022 से एक रुपए में मेंबरशीप मिलने से मात्र तीन महीने में ही 2946 बच्चों ने पुस्तकालय की मेंबरशीप ले ली। इस वजह से आज कई बच्चे पुस्तकालय में आकर हजारों रुपए में मिलने वाली किताबों को मात्र एक रुपए की मेंबरशीप में ही पढ़ रहे हैं। लीली डावर ने पुस्तकें बुलाती हैं, अभियान की शुरुआत की, ताकि स्कूली बच्चे स्मार्टफोन के जमाने में पुस्तकों का महत्व जान सकें। इसलिए बच्चों को पुस्तकालय के भ्रमण का बीड़ा उठाया। आज तक 15 से अधिक स्कूलों के करीब 1200 से अधिक बच्चे भ्रमण कर अपने दैनिक जीवन में किताबों का महत्व जान चुके हैं। बता दें कि केंद्रीय पुस्तकालय में छोटे बच्चों, स्कूल, कॉलेज, उपन्यास, कहानी, कविताओं, ग्रंथों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी सभी प्रकार की किताबें उपलब्ध हैं। सभी प्रकार की किताबों के लिए अलग-अलग सेक्शन भी बने हुए हैं, ताकि पाठकों को अपनी रूचि अनुसार किताबें आसानी से मिल सकें।