पार्षद दिलीप शर्मा के मामले में खबर आ रही है चुनाव देखते हुए फिलहाल मेयर मालिनी गौड़ ने लीन चिट दे दी है। हालांकि भाजपा अधिकारिक रूप से जांच चलने की ही बात कही जा रही है, लेकिन जांच पेंडिंग है, क्योंकि सामने लोकसभा चुनाव है और संगठन का मानना है कि छोटे-छोटे विवादों को भूलकर फोकस बड़े लक्ष्य पर करना है।
पार्षद दिलीप शर्मा ने परिषद बैठक में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले उठाए थे, उसके बाद मेयर ने नगर से लेकर प्रदेश संगठन तक शिकायत की। नगराध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा से तो दो टूक शब्दों में कह दिया था कि यदि शर्मा को नहीं हटाया गया तो वे काम नहीं करेंगी। नेमा ने ताबड़तोड़ जांच समिति बना दी और समिति ने जांच शुरू कर दी। दोनों पक्षों के बयान हुए और रिपोर्ट भी बनी, लेकिन रिपोर्ट नेमा को नहीं सौंपी गई। दरअसल पांच नंबर विधानसभा ने शर्मा का साथ दिया और उनके खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए पूरा दबाव बनाया। इसके बाद पूरा मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और साफ है कि अब कोई कार्रवाई नहीं होना है। हालांकि नगर भाजपा की तरफ से यही कहा जा रहा है कि अभी जांच पूरी नहीं हुई, कुछ बयान और बचे हैं, लेकिन असल किस्सा यह है कि चुनाव के देखते हुए मेयर को ही मनाया गया और फिलहाल उन्होंने भी विवाद को भुलाकर चुनाव पर ही फोकस रखने की रजामंदी दी है।
पार्षद दिलीप शर्मा ने परिषद बैठक में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले उठाए थे, उसके बाद मेयर ने नगर से लेकर प्रदेश संगठन तक शिकायत की। नगराध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा से तो दो टूक शब्दों में कह दिया था कि यदि शर्मा को नहीं हटाया गया तो वे काम नहीं करेंगी। नेमा ने ताबड़तोड़ जांच समिति बना दी और समिति ने जांच शुरू कर दी। दोनों पक्षों के बयान हुए और रिपोर्ट भी बनी, लेकिन रिपोर्ट नेमा को नहीं सौंपी गई। दरअसल पांच नंबर विधानसभा ने शर्मा का साथ दिया और उनके खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए पूरा दबाव बनाया। इसके बाद पूरा मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और साफ है कि अब कोई कार्रवाई नहीं होना है। हालांकि नगर भाजपा की तरफ से यही कहा जा रहा है कि अभी जांच पूरी नहीं हुई, कुछ बयान और बचे हैं, लेकिन असल किस्सा यह है कि चुनाव के देखते हुए मेयर को ही मनाया गया और फिलहाल उन्होंने भी विवाद को भुलाकर चुनाव पर ही फोकस रखने की रजामंदी दी है।
पांच नंबर वाले थे नाराज
दरअसल जिस तरह से जांच हुई और रिपोर्ट तैयार हुई, उसमें शर्मा का पक्ष काफी कमजोर था। यानी परिषद में उनकी हरकत को संगठन ने जायज नहीं माना। रिपोर्ट भी उनके खिलाफ ही जा रही थी। इसके चलते पांच नंबर विधानसभा के सारे भाजपाई नाराज थे। बताया जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए ताई ने दोनों पक्षों से बात कर मामले का पटाक्षेप करवाया।
दरअसल जिस तरह से जांच हुई और रिपोर्ट तैयार हुई, उसमें शर्मा का पक्ष काफी कमजोर था। यानी परिषद में उनकी हरकत को संगठन ने जायज नहीं माना। रिपोर्ट भी उनके खिलाफ ही जा रही थी। इसके चलते पांच नंबर विधानसभा के सारे भाजपाई नाराज थे। बताया जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए ताई ने दोनों पक्षों से बात कर मामले का पटाक्षेप करवाया।