पूरी होती है मनोकामना ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सभी की मनोकमनाएं पूरी होती है। शिवजी के अभिषेक और मनोवांछित फल के लिए भक्त उत्सुक रहते हैं। सावन में यहां श्रद्धालुओं का कतार लगी रहती है।
बाहर से मनमोहक, अंदर से भी भव्य है मंदिर यह मंदिर 1984 से पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। 64 फीट ऊंचाई का यह मंदिर जितना बाहर मनमोहक है, उतना ही अंदर भी भव्य है। मंदिर के पत्थरों में अब क्षरण हो रहा है। जरा सा हाथ लगते ही पत्थर खिरने लगते हैं। प्रत्येक दो तीन सालों में विभाग द्वारा पत्थरों की केमिकल से धुलाई की जाती है, जिससे पत्थर में लगे कीड़े समाप्त होने से क्षरण होना बंद हो जाता है। गत 5 सालों से केमिकल से धुलाई नहीं होने के कारण क्षरण की प्रक्रिया तेज हो गई है। मंदिर के पिलर के पत्थर भी टूटने लगे हैं। वहीं इमारत पर नक्काशी की जाकर बनाई प्रतिमाएं भी खंडित होने लगी है।