इंदौर

Lok Sabha Chunav 2024: चुनावों को लेकर नड्डा ने ली नेताओं की क्लास, दिए जीत के गुरु मंत्र

मालवा-निमाड़: नड्डा की चिंता, की वन-टू-वन चर्चा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने बंद कमरे में क्षेत्र के नेताओं के साथ किया मंथन…

इंदौरApr 04, 2024 / 07:32 am

Sanjana Kumar

मालवा-निमाड़ की आठ लोकसभा सीटों में से तीन आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। धार, झाबुआ और खरगोन-बड़वानी लोकसभा सीटों में आने वाली विधानसभाओं में कांग्रेस की स्थिति मजबूत रही। ये चिंता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी सता रही है, जिसके चलते तीनों सीटों के प्रमुख नेताओं से मुख्यमंत्री की मौजूदगी में वन-टू-वन चर्चा की गई।

बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इंदौर आए। उन्होंने पहले ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंदौर, धार, झाबुआ, बड़वानी और खंडवा लोकसभा को मिलाकर बनाए गए कलस्टर के प्रमुख नेताओं की बैठक ली। बाद में बंद कमरे में धार, झाबुआ और बड़वानी सीट के नेताओं से अलग-अलग बात की। उस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, संभागीय प्रभारी राघवेंद्र गौतम, हेमंत खंडेलवाल, लोकसभा प्रत्याशी, प्रभारी, संयोजक और मंत्री मौजूद थे।

बताते हैं कि नड्डा के पास विधानसभा चुनाव में हार-जीत का पूरा डाटा और वोटों का गणित था। उसे सामने रखकर हर बिंदू पर बात की। ये तीनों लोकसभा आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिनमें पिछले चुनाव में भी वोटों का अंतर कम था। विधानसभा के हिसाब से देखा जाए तो 1500 से 15 हजार का ही जीत का अंतर है। इसे लेकर भाजपा चिंतित है तो कांग्रेस भी यहां फोकस कर रही है। बाद में नड्डा मुरैना से आए कार्यकर्ताओं से मिले।

 

 

नड्डा के स्वागत के लिए नगर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने सभी मोर्चा प्रकोष्ठों को जिम्मेदारी सौंपी थी। दोपहर करीब दो बजे सभी मोर्चा अध्यक्ष टीम लेकर एयरपोर्ट पहुंच गए थे। सबसे ज्यादा संख्या भाजयुमो अध्यक्ष सौगात मिश्रा व अजा मोर्चा अध्यक्ष दिनेश वर्मा ने जुटाई। करीब पौने छह बजे नड्डा एयरपोर्ट पहुंचे और हाथ हिलाकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया। इसके बाद कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हो गए।

 


– बूथ पर फोकस किया जाए। वहां जितने कार्यकर्ता हैं, उनमें काम का बंटवारा किया जाए।
– नेताओं को सुबह उठकर एक घंटा फोन पर बात करना है या कम से कम 40 फोन लगाना हैं। अधीनस्थों से चर्चा करने के साथ काम की मॉनिटरिंग करना है।
– घर-घर संपर्क पर फोकस किया जाए लेकिन संवाद एकतरफा न हो। जनता के बीच जाकर सरकार की योजना पर उनकी प्रतिक्रिया ली जाए। पूछा जाए कि सरकार की योजनाओं पर आप क्या महसूस करते हैं।
– आदिवासी सीटों पर आदिवासी नेताओं को काम पर लगाएं लेकिन उनका परिवेश उनकी तरह ही हो। आदिवासी को बात करने में अपनापन लगना चाहिए।
– गांव में संपर्क करने जाते हैं तो फोकस दलित बस्तियों पर भी किया जाए। उनके बीच विशेष रूप से जाना चाहिए। बात करके उनके दर्द को समझने का प्रयास करना चाहिए। जब तक आप उन्हें अपना नहीं बनाएंगे, वे आपके भी नहीं होंगे। आपका वोट बैंक कैसे बढ़ेगा।

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