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व्यापारियों को जून से उम्मीद थी
सभी को उम्मीद थी कि, अप्रैल से जून का सीजन कोरोना की वजह से आई कड़की को दूर कर देगा। शादी ब्याह के सीजन से पहले कोरोना की दूसरी लहर और कर्फ्यू ने उम्मीदों पर लॉकडाउन कर दिया है। यही वजह है कि, कारोबारी जगत में अब विरोध के सुर नजर आने लगे हैं।
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व्यापारियों ने कहा-करों में राहत दे सरकार
बता दें कि, आमतौर पर एक व्यापारी को जीएसटी, आयकर, चलित पूंजी और बैंक का ब्याज, विभिन्न ईएमआई, स्थानीय संपत्तिकर, स्वच्छता कर, जलकर, बिजलीका न्यूनतम बिल, बीमा राशि व अन्य कर जमा करना होते हैं। जीएसटी रिटर्न न भरने पर टिगड़ी पेनल्टी और ब्याज देना पड़ता है। पिछली साल की तरह टीडीएस में दी राहत के समान डेड स्टॉक पर जीएसटी में राहत मिले। व्यापारियों का कहना है, अप्रैल से जून तक के 30 दिन पीक सीजन के रहते हैं। ये सीजन भी पिछले साल की तरह बिगड़ता दिख रहा है। कारोबारियों के मुताबिक, 8 से 10 हजार करोड़ के इस सीजन में हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं होती है। साल का 50 से 60 फीसदी धंधा इसी सीजन में होता है।
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