इंदौर क्राइम ब्रांच एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि कोटा पुलिस छात्रा काव्या और उसके दोस्त हर्षित की तलाश कर रही थी। दोनों को टीम ने खुड़ैल थाना क्षेत्र से बरामद किया है। दोनों की दस्तयाबी पर कोटा एसपी ने 20 हजार का इनाम रखा था। जांच में पता चला कि 19 मार्च को दोनों इंदौर में थे। इसके बाद ट्रेन से अमृतसर, पंजाब पहुंच गए। यहां गुरुद्वारे में रहे। दोनों 2 दिन पूर्व इंदौर आए।
देवगुराडि़या के पास शिवाजी वाटिका में किराए के कमरे में रहने लगे। तकनीकी जांच के आधार पर टीम कॉलोनी पहुंची। दोनों सामने आए तो पूछताछ में गलत जानकारी देने लगे। टीम के पास दोनों के फोटो, वीडियो व अन्य साक्ष्य थे। मौके पर दिखाने पर दोनों सकपका गए। बाद में हर्षित ने असलियत उजागर कर दी। दोनों के संबंध में कोटा पुलिस को जानकारी दी है। वहां से टीम दोनों को लेने के लिए रवाना हो गई है।
इस तरह चली कोटा पुलिस की जांच नीट की तैयारी करने कोटा गई शिवपुरी की छात्रा के अपहरण केस में कोटा पुलिस ने जांच शुरू की। एसपी ने जांच के बाद अपहरण केस को झूठा बताया था। यह भी बताया कि छात्रा ने खुद अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी। इसमें उसके साथी ब्रजेंद्र और हर्षित भी शामिल थे। सभी ने इंदौर के सिमरन नामक हॉस्टल की रसोई में छात्रा के रस्सी से हाथ-पैर बंधे फोटो खींचे थे। उक्त फोटो को फिरौती के लिए वायरल किया था। तकनीकी जांच में कोटा पुलिस इंदौर पहुंची और संदिग्ध ब्रजेंद्र को साथ ले गई। उससे मिली जानकारी के आधार पर कोटा पुलिस ने अपहरण केस को झूठा बताया। कोटा एसपी अमृता दुहन ने बताया था कि काव्या 17 मार्च को अपने साथी के साथ जयपुर गई थी। दूसरे दिन इंदौर आ गई। छात्रा के नहीं मिलने पर एसपी ने अपील की थी।
इंदौर में आखिरी लोकेशन और फुटेज मिले थे
19 मार्च को भंवरकुआं स्थित दीक्षा हॉस्टल के बाहर छात्रा और उसके साथी सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए। इसके बाद से ही उन्हें कोटा पुलिस तलाश रही थी। बाद में पिता ने कोटा से आकर बेटी को तलाशने के लिए इंदौर क्राइम ब्रांच में मदद मांगी थी। छात्रा ने जिस दिन अपहरण की साजिश रची थी उसके एक दिन पहले परिवार को उसके टेस्ट में आए नंबर का मैसेज मिला था। बाद में पता चला कि नंबर मध्यप्रदेश का है। यहीं से कोटा पुलिस ने जांच शुरू कर दी और इंदौर पहुंच गई। पुलिस अफसरों ने बताया था कि फिरौती की राशि के लिए जिस खाते की जानकारी दी गई वह छात्रा का ही था।