महानगर बनने के लाभ – नगर निगम परिषद महानगर क्षेत्र परिषद में बदल जाएगी। इसकी स्वायत्ता बढ़ जाएगी। इसे सिटी गवर्नमेंट कहा जाएगा। – महानगर क्षेत्र परिषद के पास निर्णय का अधिकार होगा। शासन पर निर्भर नहीं रहना होगा।
केंद्र व राज्य सरकारों से अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी।
केंद्र व राज्य सरकारों से अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी।
– योजना समिति में नगर पालिकाओं के निर्वाचित सदस्य, पंचायत अध्यक्ष व केंद्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधि रहेंगे।
समिति नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत क्षेत्रों की योजनाओं को लागू कर सकेगी। – अनुच्छेद 243 ब के तहत 12वीं अनुसूची का लाभ भी होगा।
समिति नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत क्षेत्रों की योजनाओं को लागू कर सकेगी। – अनुच्छेद 243 ब के तहत 12वीं अनुसूची का लाभ भी होगा।
– वॉटर सप्लाय, सीवरेज, ठोस कचरा प्रबंधन, स्टार्म वाटर लाइन, लोकपरिवहन, स्ट्रीट लाईटिंग, ट्रैफिक सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा।
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अपनी ही पार्टी पर बिफरे कांग्रेस प्रत्याशी, बोले- एससी, एसटी प्रत्याशियों का सहयोग नहीं करते उच्च पदाधिकारी यह करना होगा – महानगर योजना समिति अधिनियम तैयार करना होगा। – अधिनियम के तहत महानगर क्षेत्र के क्षेत्रों को समाहित कर महानगर क्षेत्र का गठन होगा। – मेट्रो एरिया में विकास कार्य तय करने के लिए कई नियोजन एंव विकास समितियों के बीच समन्वयय करने के लिए महानगर योजना समिति का गठन होगा। – विकास प्राधिकरण को समाप्त कर, महानगर नियोजन और विकास प्राधिकरण का गठन करना होगा। प्लानिंग और इंजीनियरिंग अमले का पुनर्गठन।
– मास्टर प्लान को बदलना होगा। मास्टर प्लान 2021 रहेगा पर शहरी सीमाएं धार रोड पर बेटमा तक, महू रोड पर पीथमपुर -मानपुर तक, खंडवा रोड पर सिमरोल से आगे तक, हातोद रोड पर देपालपुर व उज्जैन रोड पर सांवेर-उज्जैन तक फैल जाएंगी।
इंदौर का बढ़ता स्वरूप – क्लास वन सिटी का दर्जा 1921 में मिला। – अघोषित तौर पर महानगर का दर्जा 1991 से। – शहरीकरण के लिए तय समय 37 साल से पहले 22 साल में ही शहर बन गया।
– आजादी के बाद 500 और 30 साल में 300 प्रतिशत शहरी विस्तार।
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13 हजार किसानों के ६१ करोड़ रुपए होंगे माफ, इस दिन होगी बैठक इसलिए भी दावा पुख्ता – आईटी हब व थ्री टियर सिटी की श्रेणी में शहर की गिनती। – अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित। जुलाई से उड़ान भी शुरू हो जाएगी। – देश का बढ़ता हुआ लॉजिस्टिक सेंटर। मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी क्यों ? – नगर निगम क्षेत्र में अधिकतम 70 वार्ड ही हो सकते हैं। सरकार ने विशेष नियम बना कर भले ही वार्ड ८५ कर दिए, लेकिन बड़े वार्ड से विकास प्रभावित हो रहा है। विकास का क्षेत्रफल 50487 वर्ग किमी है।
– जलप्रदाय, सीवरेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल निकासी, यातायात का प्रबंधन समस्या बने हैं। – एकीकृत विकास योजना न होने से शहर का विकास नहीं हो पा रहा। निगम सीमा क्षेत्र के बाहर की जमीनों पर शहरी विकास हो रहा है। पंचायतें नियंत्रण करने में असक्षम।
– वर्तमान नगर सीमा के विस्तार से सिर्फ टैक्स वसूली व प्रशासकीय कार्य ही किए जा सकेंगे। कानूनी कसौटी पर भी दावेदारी खरी – संविधान के 74वें संशोधन के प्रावधानों के मुताबिक महानगर को ऐसे क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया है, जिसकी जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा हो। इसमें एक से ज्यादा जिले समाविष्ट हों, 2 या अधिक महानगर पालिकाओं, पंचायतों या अन्य संलग्न क्षेत्रों से मिलकर बनता है।
– महानगरों की सीमा देखें तो जयपुर का कार्य क्षेत्र 1959 वर्ग किमी, हैदाराबाद 2648, बंगलुरू 8022 व मुंबई 4355 वर्ग किमी में है। इससे भी दावेदारी पुख्ता है। – मास्टर प्लान में संरचना के अनुसार राऊ-महू नगरीय भाग, बेटमा, पीथमपुर धार जिला, देपालपुर, मांगलिया, सांवेर तक शामिल है।
– वर्ष 2011 के अनुसार इंदौर की जनसंख्या 19.64 लाख है। वर्तमान में 28 लाख अनुमानित। मास्टर प्लान के अनुसार 2021 तक 35.6 लाख होगी।
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सीएम कमलनाथ ने इन अधूरी सडक़ों की मांगी रिपोर्ट, सामने आईं ये बाधाएं 25 से ज्यादा संस्थाओं सौंपी रिपोर्ट इंदौर उत्थान अभियान व पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान, विकास केंद्र व 25 से ज्यादा संस्थाओं ने विशेषज्ञों से कराए अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट शासन को सौंपी। इसमें महानगर घोषित करने के लिए सभी विशेषताओं को बताया गया। यह होंगे समिति में महानगर समिति का अध्यक्ष आवास व पर्यावरण विभाग का मंत्री, उपाध्यक्ष दो तिहाई निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना हुआ व्यक्ति। निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत में निर्वाचित जनसंख्या के अनुपात में सदस्य, सांसद, विधायक जनता के प्रतिनिधि होंगे। शासकीय सदस्यों में केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय का प्रतिनिधि, प्रदेश से प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन, आवास पर्यावरण, उद्योग, लोक निर्माण, पीएचई, पंचायत व ग्रामीण विकास सचिव, वित्त विभाग, संचालक नगर व ग्राम निवेश विभाग, सीईओ, प्लानिंग मेंबर, पांच विशेषज्ञ सदस्य।
यह होंगे प्राधिकरण में अध्यक्ष, महानगर योजना समिति के उपाध्यक्ष, सदस्य सचिव, सीईओ, मेट्रो एरिया की नगर निगमों के महापौर, नगरीय निकाय के अध्यक्ष, समिति के 6 सदस्य, संभागायुक्त, कलेक्टर, निगमायुक्त, नियोजन सदस्य, 3 विशेषज्ञ सदस्य।
– इंदौर को महानगर बनाने के लिए की गई पहल से विकास को नई गति मिलेगी। अनियंत्रित विकास नहीं होगा। केंद्र से जो भी काम होगा पूरे प्रयास के साथ करेंगे।
शंकर लालवानी, सांसद – मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी से शहर का समुचित, विकास हो सकेगा। सरकार को फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के कानून का अध्ययन करना चाहिए।
अजीत सिंह नारंग, अध्यक्ष इंदौर उत्थान अभियान
शंकर लालवानी, सांसद – मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी से शहर का समुचित, विकास हो सकेगा। सरकार को फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के कानून का अध्ययन करना चाहिए।
अजीत सिंह नारंग, अध्यक्ष इंदौर उत्थान अभियान