…तो ‘ट्रैफिक ब्लास्ट’ से बीआरटीएस बन जाएगा जाम जोन
इंदौर. शहर में बीआरटीएस रहेगा या तोड़ दिया जाएगा, इस पर राजनीतिक दल और प्रबुद्ध लोग पहले ही दो हिस्सों में बंटे हैं। ऊपर से राज्य सरकार मेट्रो सिटी के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट के तहत ट्रांसफर डेवलपमेंट राइट यानी टीडीआर नीति ला रही है। इसके लिए रिसीविंग जोन का प्रयोग बीआरटीएस की परेशानी कम करने के बजाय बढ़ा देगा।
इस नीति के लागू होने के बाद 11.2 किमी के पूरे क्षेत्र में मौजूदा 12 से 15 मंजिला भवनों से ऊंची इमारतें बनेंगी। मौजूदा सिस्टम के परिणाम तो इंदौर भुगत ही रहा है, भविष्य में इससे बनने वाले ट्रैफिक ब्लास्ट की स्थिति से निपटना बड़ी चुनौती होगा। सबसे ज्यादा खराब हालात बीआरटीएस के बॉटलनेक वाले हिस्सों पर होगी। हालांकि इस समस्या को एलिवेटेड ब्रिज से हल करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इससे मौजूदा ट्रैफिक का 30-30% हिस्सा ही कम होगा, लेकिन हाई डेन्सिटी जोन बनने से बढऩे वाला ट्रैफिक ज्यादा होगा।
सरकार भविष्य के इंदौर को ले कर तरह-तरह के सपने बुन रही है। मेट्रोपॉलिटन एरिया के साथ ही मध्य क्षेत्र को स्मार्ट और मेट्रो कवर एरिया बनाने जा रही है। इसके लिए एबी रोड यानी बीआरटीएस के आसपास के हिस्से को ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट के तहत लिया जाएगा। यानी इन क्षेत्रों को हाई डेन्सिटी जोन बनाया जाएगा।
जानकारों का मानना है, अब एेसी स्थिति नहीं बची है कि इन क्षेत्र की सड़कों को और अधिक चौड़ा किया जा सके। निरंजनपुर से राजीव गांधी चौराहे के बीच प्रतिदिन करीब 21 लाख लोग सफर करते हैं। इनमें से सिर्फ 68 हजार लोग ही बीआरटीएस की आइबस का इस्तेमाल करते हैं। गुजरने वाले 21 लाख में से करीब 68 हजार लोगों के लिए सड़क का 43 फीसदी हिस्सा सुरक्षित रखा गया है। बचे 20 लाख लोगों के लिए 57 फीसदी हिस्सा बचता है।
एेसे और बिगड़ेगा बीआरटीएस का ट्रैफिक
बीआरटीएस 60 मीटर और 30 मीटर चौड़ाई में बना है। 30 मीटर की यह बॉटलनेक मुसीबत का कारण है। एबी रोड को रिसीविंग एरिया बना दिया तो यहां ट्रैफिक डेन्सिटी बढ़ेगी। अभी यह मानक से 20 से 25% ज्यादा है। शहर में वाहनों से आवाजाही यानी ट्रिप का प्रतिशत 2021 तक 15% की दर से बढ़ेगा। एबी रोड पर यह 32% के आसपास होगा। रिसीविंग जोन बनने के बाद पूरे बीआरटीएस पर अतिरिक्त निर्माण एरिया होगा। इसका दबाव बीआरटी पर तो होगा ही, 30 मीटर वाले बॉटलनेक की हालात खराब हो जाएगी।
एक घर में तीन वाहन
2025 तक एक घर में तीन वाहन होंगे। जब यहां कमर्शियल एक्टिविटी बढ़ेगी तो वाहनों की आवाजाही का अनुपात भी बढ़ेगा। इसमें चार पहिया वाहनों की संख्या अधिक होगी। वर्तमान में ही शहर में 4 लाख के करीब चार पहिया वाहन हैं, जो लगभग 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं।
यह है रिसीविंग जोन
यह वह जोन है, जहां डेवलपमेंट के लिए किसी अन्य क्षेत्र में ली गई जमीन के अनुपात में मिले एफएआर को यहां पर निर्माण होने वाली कमर्शियल या आवासीय प्रॉपर्टी में टीडीआर के रूप में बेचा सकेगा। यहां भवन बनाने वाला स्वीकृत एफएआर के अतिरिक्त इस क्षेत्रफल को खरीद कर निर्माण कर सकेगा। इससे रोड की क्षमता प्रभावित होगी और ट्रैफिक ब्लास्ट से निपटना बड़ी चुनौती बन जाएगा।