भूमिका खानचंदानी 6 साल की बेटी एलिना और तीन साल की वेदा व अन्य परिजन के साथ मंदिर पहुंची थी। मां-बेटियां भी बावड़ी में गिरी थीं। रेस्क्यू टीम ने सभी को निकाला। भूमिका की हालत गंभीर होने पर उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया। कुछ देर बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एनआइसीयू में उपचाररत मासूम बेटियों को नहीं पता था कि उनके सिर से मां का साया उठ चुका है। नाना और परिवार के अन्य सदस्य उन्हें पूरे समय दुलारते रहे। खुश करने के लिए बिस्किट और अन्य चीजें खिलाईं। बार-बार बहलाते रहे। एलिना को डॉक्टर ने ड्रिप चढ़ाई थी। वह पूरे समय मां को पुकारती रही। मासूम को जितना समझ आया, वह इस तरह बताती रही…सभी लोग कुएं में नीचे गिर गए। मेरे मुंह में थोड़ा पानी चला गया था। फूंक मारकर उसे बाहर निकाला। मम्मी के मुंह में पानी जा रहा था…। इसके बाद मासूम अपना दर्द बयां नहीं कर सकी।
घायलों की जुबानी: पूर्णाहुति दी, 5 मिनट में करनी थी आरती, भरभराकर गिरी स्लैब, 1 घंटे तक फंसे रहे…
निजी हॉस्पिटल में भर्ती पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि पूर्णाहुति के बाद आरती होनी थी। इसी बीच बावड़ी की स्लैब गिर गई। करीब 40 लोग 50 फीट नीचे चले गए। बावड़ी 20 साल से बंद थी और उसमें गंदा पानी भरा था। मुझे तैरना आता था, इसलिए बच गया। कई लोग पानी में तैरते दिखे। कुछ लोगों ने मदद के लिए रस्सी डाली तो लोगों ने उसे पकड़ ली। मेरे सिर में चोट आई थी। एक घंटे पानी में फंसा रहा। बावड़ी में चीखें गूंज रही थीं।
दर्दभरी दास्तां…
एक-दूसरे का हाथ पकड़ बचने का जतन
पटेल नगर निवासी भावेश पटेल ने बताया, तैरकर कोने में पहुंचा। सभी लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खुद को बचाने का प्रयास कर रहे थे। कुछ लोग तैर रहे थे। मदद मिलने तक एक महिला की मौत हो चुकी थी।
किसी ने रस्सी डाली थी, उसे पकड़ जान बचाई
ललित कुमार सेठिया ने बताया कि किसी ने रस्सी फेंकी थी, उसे पकड़कर करीब 1 घंटा खुद को बचाए रखा। बावड़ी काफी गहरी थी। बावड़ी में ऊपर की तरफ बनी सीढ़ियों के सहारे कुछ लोगों ने खुद को बचाया।
दो-तीन बच्चे मेरे सामने डूब गए
पटेल नगर निवासी व्यापारी महेश ने बताया कि कम से कम 100 लोग बावड़ी में गिरे। मुझे तैरना नहीं आता था। पाइप और जाली पकड़कर खुद को बचाया। दो से तीन बच्चे मेरे सामने डूब गए। करीब 45 मिनट बाद हमें बाहर निकाला।
बावड़ी में पानी पर थीं लाशें ही लाशें
घायल रवि पाल ने बताया कि हवन समाप्ति के बाद वे आरती में शामिल हुए। उस दौरान हादसा हुआ। ऐसा लगा मानो, अंधेरे में जा रहे हैं। मुझे तैरना आता था, इसलिए बच गया। कुछ देर बाद देखा तो बावड़ी के पानी पर लाशें थीं।
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