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आसान और कारगर हैं ये मशीनें
अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक, शहर के बड़े रूट, गलियां और सराफा जैसे क्षेत्रों को निगम द्वारा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग किया जाता है। मैकेनाइज्ड स्वीपिंग की मदद से मशीन में लगा ब्रश उसकी ज़द में आने वाला सभी कचरा खुद-ब-खुद मशीन के टैंक में ले लेता है। मैकेनाइज्ड स्वीपिंग से सफाई हाथों के मुकाबले कई गुना ज्यादा अच्छी तरह होती है। नॉर्मल संसाधन से सफाई करने में डिवाइडर आदि कोने वाले स्थानों में कचरा छूट जाता है, लेकिन मशीन से ऐसा नहीं होता है।
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पहले से मौजूद हैं 13 मशीनें 10 और मिलीं
फिलहाल, शहर में 13 मैकेनाइज्ड मशीनों से सफाई की जाती है। निगम ने मंगलवार को इसमें 10 और मशीनों का इज़ाफा कर दिया है। अब तक निगम के पास मौजूद 13 मशीनों से 350 किमी एरिया रोज़ाना कवर किया जाता था। इनमें तीन मशीनें कुछ ही दिनों पहले खरीदी गई थीं, यानी ये भी अभी पूरी तरह नई ही हैं। पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड आटोमैटिक इन मशीनों से 100 फीसदी कचरा साफ होता है, जबकि हाथ से होना संभव नहीं रहता। मशीन में दो स्टेयरिंग दिये गए हैं, ताकि हर ओर से इसका संचालन हो सके। निगम का दावा है कि, आज मंगाई गईं ये मशीनें पिछली 13 मशीनों से भी कई गुना ज्यादा आधुनिक हैं, जो साफ किये क्षेत्र को एक तरह से पॉलिश कर देंगी।
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दोगुनी हो जाएगी इंदौर की सफाई क्षमता
अपर आयुक्त के मुताबिक, इन 23 मशीनों में पांच प्रकार की मशीनें शामिल हैं। इसमें एक मशीन हाईवे की सफाई करती है। दूसरी मशीन मेजर रोड की सफाई करती है। तीसरी से छोटी बड़ी गलियों की सफाई की जाती है। निगम का दावा है कि, नई शामिल हुई दस मशीनों के बाद सफाई का दायरा 350 कि.मी से बढ़कर 700 कि.मी हो जाएगा। इन मशीनों से सफाई करने पर सड़कों का निखार और भी बढ़ जाएगा। करोड़ों रुपए की लागत वाली इन मशीनों का सबसे बड़ा फायदा ये है कि, शहर के हाईवे से लेकर संकरी गलियों तक कम समय में ज्यादा बेहतर तरीके से साफ किया जा सकेगा। सोनी का दावा है कि, सफाई में इस्तेमाल होने वाली जो आधुनिक मशीनें इंदौर के पास हैं, वो देशभर में अब तक किसी भी शहर के पास नहीं है।