निगम सडक़ बनाने से लेकर ड्रेनेज और पानी की पाइप लाइन बिछाने का काम करती है। साथ ही स्ट्रीट लाइट लगाना, सफाई के लिए संसाधन खरीदना, बगीचों का सौंदर्यीकरण, रंगाई-पुताई, यातायात से संबंधित कार्य, स्कूल का निर्माण और अन्य कई काम निगम शहर में करती है। इन कामों को करने के लिए ऑनलाइन टेंडर बुलाए जाते हैं, लेकिन टेंडर आने के बाद निर्धारित दिन खोले नहीं जाते हैं। जिम्मेदार मर्जी से अन्य दिनांक पर टेंडर खोलते हैं। इस कारण निर्माण कार्यों में देरी होती है। साथ ही निगम अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं।
यह देखते हुए निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने टेंडर संबंधित व्यवस्था में बदल किया है। इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है। इसमें समस्त अपर आयुक्त, निविदा समिति अध्यक्ष, विभाग प्रमुख और जोनल अफसरों को निर्धारित समय में जनहित से संबंधित विकास कार्यों के टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर काम शुरू करने के आदेश दिए हैं। साथ ही तय समय में काम न होने पर एक पक्षीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि निगम अफसरों की लेटलतीफी के चलते शहर में लोगों को मूलभूत सुविधा से संबंधित कार्य से वंचित रहना पड़ता है। समय रहते टेंडर प्रक्रिया पूरा न करने पर काम नहीं हो पाते, इसका खामियाजा अलग भुगतना पड़ता है। अब देखना यह है कि जनहित के कार्यों को लेकर बदली व्यवस्था का कितना असर होता है।
इस तरह तय किया समय – निविदा विज्ञप्ति में निर्धारित दिनांक पर ही खोलना। इसकी जिम्मेदारी विभाग प्रमुख की रहेगी। – विभागीय परीक्षण व टिप पूर्ण कर निविदा समिति को अग्रेषित करने की अवधि दो दिवस और जिम्मेदारी संबंधित विभाग प्रमुख व जोनल अफसर की रहेगी।
– निविदा समिति द्वारा निविदा पर निर्णय लेना व विभाग को पुन: अग्रेषित करने की अवधि सात दिन रखी गई है। जिम्मेदारी निविदा समिति अध्यक्ष की रहेगी। – विभागीय टिप सहित अपर आयुक्त को निविदा प्रकरण भेजने की अवधि दो दिन और जिम्मेदारी संबंधित विभाग प्रमुख की रहेगी।
– अपर आयुक्त द्वारा कार्यादेश जारी करने की वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने का समय दो दिन और जिम्मेदारी संबंधित अपर आयुक्त की रहेगी। – कार्य को लेकर सहमति पत्र जारी करने की अवधि 3 दिन और जिम्मेदारी संबंधित विभाग प्रमुख की रहेगी।
– तय समय में काम न होने पर संबंधित अफसर पर कार्रवाई होगी।