शहर में बकाया संपत्तिकर, जलकर और कचरा प्रबंधन शुल्क वसूलने का टारगेट निगम के राजस्व अमले को दिया गया है। इस महीने 50 करोड़ रुपए वसूलने का टारगेट है। इसमें बकाया संपत्तिकर के 46 करोड़ रुपए, जलकर के 3 करोड़ रुपए और कचरा प्रबंधन शुल्क के 3 करोड़ रुपए शामिल हैं। इस टारगेट को पूरा करने में निगम के 19 जोन पर तैनात सहायक राजस्व अधिकारी (एआरओ) और बिल कलेक्टर लगे हुए हैं। बकाया संपत्तिकर और जलकर जमा करने के लिए जहां करदाताओं को नोटिस जारी कर बकाया टैक्स 9 सितंबर को लगने वाली नेशनल लोक अदालत में छूट लेकर जमा करने को कहा जा रहा है, वहीं कचरा शुल्क वसूली के लिए व्यावसायिक क्षेत्र में कार्रवाई शुरू की गई है। इसके चलते एआरओ अपने जोन अंतर्गत आने वाले बाजारों में जिन दुकानदारों पर कचरे का पैसा बकाया है, उनकी दुकान खुलने के पहले ही ताले लगाकर सील कर रहे हैं। इसका पता दुकानदार को तब लगता है, जब वह दुकान खोलने पहुंचता है। दुकान पर मालिक के साथ निगम का ताला भी लगा होता है, जो कि कचरे का पूरा पैसा जमा कराने के बाद ही खुलता है।
इधर, कचरा शुल्क वसूलने के लिए राजबाड़ा क्षेत्र में कार्रवाई की गई। यहां इमामबाड़ा के सामने जबरेश्वर महादेव मंदिर रोड पर कचरा शुल्क जमा न करने पर 12 दुकानों को सील कर दिया गया। दुकानदार जब दुकान खोलने आए तो उन्हें अपने ताले के साथ निगम का भी ताला लगा हुआ मिला। इस पर उन्होंने विरोध दर्ज कराया और संबंधित तीन नंबर जोन के एआरओ अनिल निकम के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराई कि अगर कचरे का पैसा बकाया था, तो नोटिस दिया जाता। इस तरह ताले लगाने की क्या जरूरत थी? इस पर जोन के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया कि पैसा जमा कराने के बाद ही दुकान खुलेगी। इस पर जिन दुकानों पर ताले लगाए थे, उनके मालिकों ने पैसा जमा कराया और फिर निगम ने हाथोंहाथ ताले खोल दिए।
अभी तक जमा हुए 13 करोड़ रुपए कचरा प्रबंधन शुल्क वसूली में निगम राजस्व विभाग इस वर्ष आगे है, क्योंकि 1 अप्रैल-2023 से लेकर अभी तक निगम खजाने में 13 करोड़ 15 लाख रुपए जमा हो गए हैं। पिछले वर्ष 1 अप्रैल से 25 अगस्त तक 11 करोड़ 73 लाख रुपए ही जमा हुए थे। इस वर्ष डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक जमा हुए हैं। अधिक से अधिक कचरा शुल्क जमा हो, इसके लिए निगम सख्ती कर रहा है।