सीएम मोहन यादव के निर्देश पर इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के लिए कवायद शुरु की जा चुकी है। जिला प्रशासन ने नगर निगम की सीमा में आने वाले कई गांवों को शामिल करने की योजना बनाई है। इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के अंतर्गत चारों ओर के 29 गांवों के समग्र विकास की पहल की जा रही है।
इंदौर नगर निगम सीमा में करीब एक दशक पहले शामिल किए गए इन गांवों में टैक्स बढ़ोत्तरी की गई लेकिन सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। अधिकारी अब इनपर फोकस कर रहे हैं। सभी 29 गांवों में अब लकदक कालोनियां नजर आएंगी। यहां के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारा जाएगा, सड़क जैसी मूलभूत अधो संरचनाएं डेवलप की जाएंगी और बिजली, पानी की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। पेयजल के लिए नर्मदा का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
इंदौर जिला प्रशासन द्वारा तैयार किए गए इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन (महानगरीय क्षेत्र) के प्रस्ताव में भी ये गांव शामिल हैं। इन गांवों में कृषि भूमि पर कई कालोनियां विकसित हो चुकीं हैं और बड़ी इमारतें भी बन गईं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। पीपल्याकुमार, लिंबोदी टिगरिया राव, मुंडला नायता, पालदा, बिलावली, बिचौली हप्सी, छोटा बांगड़दा, बरदरी भौंरासला, भानगढ़, कुमेड़ी आदि गांवों में अब बिजली, पानी के साथ ही ड्रेनेज लाइन भी डाली जा रही है।
इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन में इन गांवों के साथ ही इंदौर से सटे धार, उज्जैन और देवास जिले के हिस्से भी शामिल किए गए हैं। मेट्रोपालिटन रीजन के रूप में इंदौर सहित चारों जिलों के समग्र विकास की योजना बनाई गई है।
अधिकारियों के अनुसार इंदौर के 29 गांवों के साथ ही उज्जैन, धार और देवास के कई गांवों को भी इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन में शामिल किया गया है। इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन के रूप में सभी चार जिलों का कुल 7,863 वर्ग किमी एरिया मिलाकर महानगर की शक्ल लेगा। प्रस्तावित इंदौर महानगर में धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर को भी शामिल किया गया है।