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इन जरूरतों पर खर्च हुए 18 करोड़
अब तक शहर में एकत्रित हुई 18 करोड़ से अधिक राशि से शहर के लिये सबसे जरूरी ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर मशीनें खरीदी गई हैं, अब इन खरीदी गई मशीनों को जरूरतमंदों को नि: शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा, इस रकम से कई शव वाहन और एंबुलेंस भी खरीदी गई हैं। साथ ही, मेडिकल उपकरण बैंक बनाए गए हैं, जहां से जरूरतमंदों को घर पर पहुंच कर नि: शुल्क सेवा प्रदान की जाएगी। ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, सैनिटाइजर और दवाइयों के लिए मदद की पूरी चेन बन गई है। कम दरों पर सीटी सहित तमाम जांच कराने, जरूरतमंदों केे लिये भोजन की व्यवस्था जैसी तमाम गतिविधियां इंदौर अपने बलबूते पर चला रहा है।
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ऑक्सीजन प्लांट के लिए आधे घंटे में सवा करोड़ और दूसरे दिन ढाई करोड़ राशि इकट्ठी हुई
शहर के तेजी से बिगड़ते हालातों के मद्देनजर कलेक्टर मनीष सिंह ने रेसीडेंसी में हुई प्रमुख संस्थाओं और संगठनों के साथ बैठक की। इस दौरान ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे शहर की समस्या रखी गई, तो मात्र आधे घंटे के भीतर ही ऑक्सीजन प्लांट के लिए सवा करोड़ की राशि इकट्ठी कर ली गई। अगले दिन राशि ढाई करोड़ पर जा पहुंची। इससे कोविड सेंटर पर ऑक्सीजन स्टोरेज के लिये दो प्लांट बनाए जा रहे हैं।
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युवाओं की अनूठी पहल से मरीजों को मिल रहा बड़ा फायदा
मौजूदा समय में अस्पतालों में बेड मिलने की सबसे अधिक मारामारी है। इसे देखते हुए विभिन्न संस्थाओं और युवाओं के ग्रुप की ओर से सोशल मीडिया पर कई ग्रुप बना रखे हैं, जिनके जरिये वो अपने अपने नजदीकी अस्पताल में खाली बेड की स्थिति ग्रुप पर अपडेट करते रहते हैं। इस अनूठी पहल से कई लोगों को बड़ा फायदा पहुंच रहा है। जानकारी लगते ही संक्रमित मरीज इधर उधर भटकने के बजाय तत्काल संबंधित अस्पताल पहुंच जाता है। कुछ ही दिनों में ये पहल इतनी कारगर साबित हो गई कि, अब दोस्तों के आधा दर्जन से अधिक ग्रुप अस्पतालों में बेड की लाइव अपडेट दे रहे हैं। साथ ही, शहर में असपतालों में बेड की स्थिति जांचने के लिये 1075 कॉल सेंटर भी है। इसके अलावा, IIM इंदौर की ओर से प्लाज्मा डोनेशन के लिए भी एक वेबसाइट चलाई रही है, जिसमें डोनर आदि की जानकारी भी साझा की जा रही है।