जमीन पर बैठकर मांगी मांफी
मंत्री तुलसी सिलावट ने पीड़तों के सामने जमीन में बैठकर मांफी मांगी। इसके साथ ही उन्होंने पीड़ितों को भरोसा भी दिया की सरकार उनका उचित इलाज कराएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, रविवार को मंत्री तुलसी सिलावट मरीजों से मिलने चोइथराम अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि ये दुखद घटना है। घटना के बाद राष्ट्रीय अंधत्व निवारण समिति के जिला प्रभारी डॉ. टीएस होरा को निलंबित कर दिया है।
दवाई के कारण हुआ इन्फेक्शन
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-मरीजों को चेन्नई ले जाना पड़ा तो वहां भी ले जाएंगे। हमारी पहली प्राथमिकता है कि मरीजों की आंखों की रोशनी वापस आए। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। रविवार को चेन्नई से शंकर नेत्रालय के डॉ. राजीव रमण भी पहुंचे। शुरुआती जांच में पता चला कि ऑपरेशन के बाद आंखों में डाली जाने वाली ड्रॉप से इन्फेक्शन हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-मरीजों को चेन्नई ले जाना पड़ा तो वहां भी ले जाएंगे। हमारी पहली प्राथमिकता है कि मरीजों की आंखों की रोशनी वापस आए। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। रविवार को चेन्नई से शंकर नेत्रालय के डॉ. राजीव रमण भी पहुंचे। शुरुआती जांच में पता चला कि ऑपरेशन के बाद आंखों में डाली जाने वाली ड्रॉप से इन्फेक्शन हुआ।
क्या है मामला
इंदौर के आई अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया था। इंदौर के आई हॉस्टिपटल में मोतियाबिंद का इलाज करवाने वाले 11 मरीजों की आंखो की रोशनी चली गई थी। मामला सामने आया तो सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा ने इस पर उच्च स्तरीय जांच की बात कही थी। शुक्रवार को डॉक्टरों के दल ने दौरा किया और अब दवाईयों की जांच करवाई। कुछ मरीजों को एक आंख तो कुछ मरीजों को दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है। सभी मरीज 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उसी दिन इनके ऑपरेशन हुए। अगले दिन आंखों में दवाई डालने के बाद इंफेक्शन हुआ और मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया।
इंदौर के आई अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया था। इंदौर के आई हॉस्टिपटल में मोतियाबिंद का इलाज करवाने वाले 11 मरीजों की आंखो की रोशनी चली गई थी। मामला सामने आया तो सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा ने इस पर उच्च स्तरीय जांच की बात कही थी। शुक्रवार को डॉक्टरों के दल ने दौरा किया और अब दवाईयों की जांच करवाई। कुछ मरीजों को एक आंख तो कुछ मरीजों को दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है। सभी मरीज 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उसी दिन इनके ऑपरेशन हुए। अगले दिन आंखों में दवाई डालने के बाद इंफेक्शन हुआ और मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया।