इंदौर

डार्क नेट की मदद से विदेशी पेडलर्स से जुड़े थे आरोपी, हवाला के जरिए करते भगुतान

– बैंक में लाखों जमा, नशा बेचकर बनाई संपत्ति होगी कुर्की, सीए बना रहे हिसाब, हवाला के जरिए भुगतान, मोबाइल की साइबर लैब में जांच
 

इंदौरJul 18, 2021 / 11:41 am

प्रमोद मिश्रा

डार्क नेट की मदद से विदेशी पेडलर्स से जुड़े थे आरोपी, हवाला के जरिए करते भगुतान

इंदौर. हैदराबाद में तैयार हुई एमडी (मैफेड्रान) ड्रग को देशभर में पहुंचाकर करोड़ों रुपए कमाने वाले नेटवर्क की पूरी जानकारी पुलिस के पास आ गई है। नशे के कारोबार में पुलिस ३३ आरोपियों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है। कई नाम और पता चले हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों में जमा करीब 25 लाख रुपए के साथ ही ड्रग से कमाई संपत्ति को कुर्क, राजसात करने की ओर कदम बढ़ाया है। सीए की मदद से पूरा हिसाब-किताब तैयार किया जा रहा है। अब यह साफ हो गया है कि देश के साथ ही विदेशी पेडलर्स से आरोपी डार्क नेट के जरिए जुड़े थे। हवाला के जरिए भुगतान होता था। अफसरों की मानें तो सीए की रिपोर्ट मिलते ही सभी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई होगी।
पहला मामला, जिसमें पुलिस ले रही सीए की मदद

पुलिस का यह पहला मामला है, जिसमें सीए की मदद लेकर काले कारोबार की बैलेंस शीट तैयार करवाई जा रही है। पुलिस इसके लिए बकायदा शुल्क का भी भुगतान कर रही है। जनवरी में पुलिस ने ड्रग की कालाबाजारी के मामले मेें 5 आरोपी पकड़े थे और अभी तक 33 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। हिरासत में चल रहे सलीम, मेहजबीन व जुबेर ने कई नाम बताए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
कई राज्यों में फैलाया नेटवर्क

आइजी हरिनारायणाचारी मिश्रा और डीआइजी मनीष कपूरिया का मानना है, आरोपियों का पूरा नेटवर्क सामने आ चुका है, जिसमें कई एजेंसियां साथ काम कर रही हैं। अफसरों का कहना है, मुख्य सरगना वेदप्रकाश व्यास ने हैदराबाद की फैक्टरी में एमडी बनाई। टेंट कारोबारी दिनेश अग्रवाल व उसके बेटे अक्षय अग्रवाल के साथ मिलकर मंदसौर, अहमदाबाद, नासिक, मुंबई, राजस्थान सहित कई राज्यों मेें ड्रग्स पहुंचाई।
दो मेडिकल फैक्टरियां र्हैं व्यास की, लाखों रुपए जमा
वैसे तो पुलिस का मानना है कि नशे की कमाई का अधिकांश पैसा नकद ही आता था। वेदप्रकाश व्यास की हैदराबाद में दो मेडिकल फैक्टरियां हैं। पहले इन्हें सील किया था, लेकिन बाद में तेलंगाना पुलिस ने छोड़ दिया। पुलिस ने बैंक खाते जरूर सील करा दिए हैं। व्यास व अग्रवाल के खातों में करीब 25 लाख रुपए जमा है। फैक्टरी व मकान के साथ ही अन्य संपत्तियों का हिसाब बन गया है। पुलिस ने चिह्नित प्रकरण की श्रेणी में अपराध को शामिल किया है। जल्द चालान पेश होगा।
डार्क वेब के जरिए बढ़ाया काला कारोबार
पुलिस का मानना है, नशे के कारोबार में शामिल आरोपी इंटरनेट कॉलिंग के जरिए आपस में संपर्क करते थे। लगातार मोबाइल सिम बदलते रहे। अवैध कारोबार का गढ़ बन रहे डार्क वेब के जरिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश व दक्षिण अफ्रीका के पेडलर्स के संपर्क में थे। हैदराबाद में तैयार एमडी ड्रग इंदौर के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पेडलर्स तक पहुंच रही थी। हवाला के जरिए भुगतान होता था। मोबाइल फोन की साइबर लैब में जांच चल रही है, इसे भी चालान में लगाया जाएगा। एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर के मुताबिक सीए आरोपियों की संपत्ति की बैलेंस शीट बना रहे हैं। उसमें नशे से संपत्ति खरीदने की बात सामने आने पर सभी संपत्ति व नकदी कुर्क की जाएगी।
अब तक हुई जब्ती
– करीब 70 किलो 740 ग्राम एमडी, कीमत 71 करोड़

– 13 लाख 3 हजार नकद जब्त, बैंक खातों में 25 लाख जमा
– हैदराबाद में दो मेडिकल फैक्टरी, टेंट कारोबारी का मंदसौर व इंदौर में मकान
– पांच लक्झरी कारें हुईं जब्त
– 40 मोबाइल फोन भी बरामद।

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