इंदौर। स्नेहनगर, पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी की छत गिरने से हुए हादसे ने प्रशासनिक तंत्र की भी पोल खोलकर रख दी है। बगीचे के पास ट्रस्ट के मंदिर को लेकर चल रहे निर्माण को लेकर नगर निगम ने एक साल पहले नोटिस जारी किया था। रहवासियों ने भी अवैध निर्माण की शिकायत की, लेकिन निगम ने एक नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली। उधर, हादसे के बाद ट्रस्ट के पदाधिकारी कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। अध्यक्ष का कहना है, हादसा हो गया तो क्या कर सकते हैं।
30 जनवरी को दिया था नोटिस
बावड़ी के हादसे के बाद नगर निगम जोन-18 के भवन अधिकारी द्वारा मंदिर ट्रस्ट को जारी किया गया नोटिस सामने आया। 30 जनवरी 2023 को यह नोटिस जारी कर कहा था कि पानी की टंकी, बगीचे पर आरसीसी का पक्का निर्माण किया जा रहा है। यह बगीचे की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किया जा रहा है। इसके पहले 2 अप्रैल 2022 को भी एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में यह भी लिखा था कि यहां की बावड़ी को खोलने की बात भी कही गई थी। निगम ने दो नोटिस जारी किए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।
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रहवासियों का विरोध, कोई कार्रवाई नहीं
स्नेह नगर विकास मंडल के अध्यक्ष वीडी मूंदड़ा, सचिव पंकज काबरा व अन्य पदाधिकारियों ने 22 मई 2022 को निगमायुक्त प्रतिभा पाल को एक शिकायत कर बगीचे की जमीन पर चल रहे निर्माण पर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत में बताया गया था कि पटेल नगर, स्नेह नगर व सर्वोदय नगर के मध्य स्थित बगीचे में अवैध निर्माण किया जा रहा है। काबरा के मुताबिक, शिकायत की थी लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने उक्त अवैध निर्माण को लेकर कोई कार्रवाई ही नहीं की।
हादसा हो गया, क्या कर सकते हैं : अध्यक्ष
मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष पूर्व पार्षद सेवाराम गलानी का कहना है, मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है। मंदिर 70 साल पुराना है, 40 साल पहले बावड़ी में डूबने से 2-3 बच्चों की मौत हुई थी, तब इसे बंद किया था। छत में मोटे-मोटे सरिए लगाए थे। शिवरात्रि पर 8-10 हजार लोगों का कार्यक्रम हुआ था। बावड़ी की छत कमजोर होने व मौत का जिम्मेदार कौन? इस सवाल पर गलानी का कहना है, जिन्होंने बनाया वे लोग तो अब रहे नहीं। वैसे भी हम मंदिर का नया निर्माण करने के बाद बावड़ी को खोलने वाले थे, ऐसे में हादसा हो गया तो अब क्या कर सकते हैं।
दो घंटे बाद पानी निकाला
बड़े हादसे से निपटने में लापरवाही और संसाधनों की कमी एक बार फिर सामने आई। शुरुआत में रेस्क्यू टीम के देरी से पहुंचने का आरोप हैं। 17 घायलों व 12 मृतकों को निकालने के बाद शाम करीब 4 बजे रेस्क्यू रोक दिया गया। जितने लोग ऊपर थे, उन्हें निकाला जा चुका था। लोगों का कहना था कि कुछ बच्चों सहित करीब 24 लोग लापता हैं। इस आधार पर प्रशासन की टीम ने रेस्क्यू कार्य को रुकवाया। पीछे के हिस्से की दीवार तोड़कर निगम की गाड़ी का पाइप बावड़ी में डालकर निकालने की व्यवस्था की, लेकिन पानी नहीं निकला। करीब दो घंटे प्रयास के बाद बड़े पाइप से पानी निकालने का काम शुरू हुआ।
मंदिर में बावड़ी की थी जानकारी
नगर निगम अधिकारी लगातार मौके पर बावड़ी होने की जानकारी नहीं होने की बात करते रहे। हालांकि सच्चाई इसके उलट है। निगम ने जनवरी में जो नोटिस जारी किया, उसमें साफ लिखा है कि गलानी ने इस बात को माना था कि यहां पर एक बावड़ी भी है। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई, जो इस हादसे का बड़ा कारण भी बनी।
गलानी ने 26,58600 रुपए मांगे थे चंदे में
बेलेश्वर मंदिर के व्यवस्थापक व ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी ने जनता से 26.58 लाख चंदे के तौर पर मांगे थे। गलानी भाजपा पार्षद रह चुके हैं। इसके चलते निगम इस अवैध निर्माण को तोड़ने से बच रहा था। गलानी ने मंदिर निर्माण के लिए एक पर्चा जारी किया था, जिसमें अलग-अलग कामों के लिए चंदा मांगा। मूर्ति से लेकर गिट्टी और ईंट के लिए भी पैसे मांगे थे।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय भवन अधिकारी पीआर आरोलिया कहते हैं कि हमने तो नोटिस दे दिए थे, पूरी कार्रवाई कर चुके हैं। मंदिर के अवैध निर्माण का मामला है। कलेक्ट्रेट से निर्णय लिया जाना था, इसलिए कार्रवाई अटकी थी। सभी अफसरों को जानकारी दी।
कलेक्टर डा. इलैयाराजा कहते हैं कि सूचना मिलते ही एसडीआरएफ टीमों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था। घायलों को समीप के हास्पिटल भेजा। स्लैब में तीन लेकर होने से परेशानी आई। हादसे की मजिस्ट्रियल जांच करवा रहे हैं।
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